दुनियाभर में कोरोना से लड़ने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं ये पुरानी दवाएं

Edited By Updated: 24 Mar, 2020 07:28 PM

old medicines being used to fight against corona

दुनिया भर में कोरोना वायरस का सामना कर रहे लोगों को यह खबर राहत की सांस दे सकती है। दुनियाभर के मेडिकल शोधकर्ताओं ने कोरोना से लड़ने के लिए कुछ पुरानी इजात की हुई दवाओं का नाम सुझाया है जो कोरोना से लड़ने में लगभग सक्षम है।

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के अब तक करीब 525 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 10 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में कोरोना के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं जहां 101 लोग इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हैं और यहां 3 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरे नंबर पर केरल है जहां 95 मामले सामने आ चुके हैं हालांकि यहां पर किसी की मौत नहीं हुई है।

इस बीमारी का इलाज पूरी दुनियाभर में खोजा जा रहा है. वहीँ, दुनिया भर में कोरोना वायरस का सामना कर रहे लोगों को यह खबर राहत की सांस दे सकती है। दुनियाभर के मेडिकल शोधकर्ताओं ने कोरोना से लड़ने के लिए कुछ पुरानी इजात की हुई दवाओं का नाम सुझाया है जो कोरोना से लड़ने में लगभग सक्षम है।

पुरानी दवाइयां बनी मददगार
शोधकर्ताओं की माने तो दुनिया में पहले से मौजूद दूसरी बीमारियों की दवाएं कोरोना वायरस को मात देने में सहायक हैं। इस बारे में शोधकर्ताओं ने प्रयोग भी किये हैं जो सफल साबित हुए हैं। जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दवाओं के विस्तृत परीक्षण शुरू कर दिए हैं। अच्छी बात यह हैं कि दवाओं में से दो दवाओं को इस्तेमाल करने की सलाह खुद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारतीय डॉक्टरों को भी दे दी है।

मलेरिया की दवा
इंटनेशनल जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबियल एजेंट की रिपोर्ट के अनुसार, मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन के साथ एक एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन देने से कोरोना का तेजी से इलाज किया जा सकता है।
शोध में पाया गया है कि क्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने से परिणाम बेहतर मिल रहे हैं।
क्लोरोक्वीन से करीब 25% मरीज 6 दिन में मरीज ठीक हो रहे हैं, जबकि क्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने से परिणाम और बेहतर आए हैं। वहीँ केवल क्लोरोक्वीन देने से इलाज में करीब 22 दिन अधिक लगते है।

एचआईवी/एड्स की दवा
इसके अलावा, आईसीएमआर ने दो एंटी रेट्रो वायरल दवाएं लोपिनावीर और रिटोनावीर के प्रयोग के बारे में बताया है। यह दवाएं एचआईवी/एड्स के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। हालांकि ये भी सिर्फ रोकथाम का काम करती हैं लेकिन ये एक अच्छा विकल्प जरुर हैं। बता दें, चीन, भारत समेत कई देशों में ये दवाएं मरीजों पर आजमाई गई हैं, जिनका रिजल्ट काफी अच्छा मिला है।

जापानी फ्लू की दवा
इसके साथ ही जापानी फ्लू की दवा फविप्रिरावीर दवा अब तक कोरोना के इलाज में सबसे इफेक्टिव पाई गई है। रिपोर्ट बताती हैं कि इससे कोविड के मरीज चार दिन में ठीक हुए हैं। लेकिन यहां ये भी कहा गया है कि ये दवा केवल शुरुआत में ही काम आती है। अगर मरीज में संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं तो यह दवा कारगार होगी अन्यथा यह काम नहीं करेगी।

ईबोला की दवा
इसके अलावा ईबोला की दवा रेमडेसीवीर भी कोरोना में काम कर रही है। बताया जा रहा है कि यही दवा सार्स और मर्स बीमारियों में भी कारगर रही थी। बता दें, चीन ने एक दर्जन से ज्यादा मरीजों के इलाज में रेमडेसीवीर का भी सहारा लिया गया था।  जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

बर्ड फ्लू की दवा
वहीँ, कुछ देशों में बर्ड फ्लू की दवा टेमीफ्लू को लेकर भी अच्छे परिणाम मिले है। बर्ड फ्लू का इलाज एंटीवायरल ड्रग ओसेल्टामिविर (टेमीफ्लू) (Tamiflu) ) और जानामिविर (रेलेएंजा) (Relenza) से किया जाता है। लेकिन कोरोना वायरस के मरीजों के लिए केवल टैमीफ्लू का इस्तेमाल किया गया है। बता दें, दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में आए कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों को टेमीफ्लू दवा दी गई थी। जिसके बाद उनकी हालत में सुधार आया और वो अब ठीक हो कर घर जा चुके हैं।

WHO की नई पहल
इन अभी दवाओं को ज्यादातर देशों के अस्पतालों में सीमित रूप से दिया जा रहा है। वहीँ, इस दवाओं के इस्तेमाल को अभी आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया जा सकता है क्योंकि  इसके लिए दुनियाभर में लंबे समय तक कई मरीजों पर इसके प्रयोग करने होंगे। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नई पहल शुरू की है। उम्मीद की जा रही है कि इन के परिणाम सकारात्मक होंगे।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!