Edited By Radhika,Updated: 28 Dec, 2025 02:22 PM

बीते दिन यानि की शनिवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने एक बड़ा कबूलनामा किया है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेफ्टी के लिए बंकर में छिपने को कहा गया था। जरदारी के अनुसार, उनसे कहा गया था कि "जंग शुरू हो गई है, अब बंकर में...
नेशनल डेस्क: बीते दिन यानि की शनिवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने एक बड़ा कबूलनामा किया है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेफ्टी के लिए बंकर में छिपने को कहा गया था। जरदारी के अनुसार, उनसे कहा गया था कि "जंग शुरू हो गई है, अब बंकर में चलना ही सुरक्षित होगा।" हालांकि जरदारी ने दावा किया कि उन्होंने बंकर में जाने से मना कर दिया, लेकिन उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के प्रहार ने पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व की नींद उड़ा दी थी।
पहलगाम हमले का 'सिंदूर' प्रतिशोध
यह पूरा विवाद 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले से शुरू हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। भारत ने इस बार केवल निंदा नहीं की, बल्कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए करारा जवाब दिया। 7 मई की तड़के भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके (PoJK) में घुसकर 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को धवस्त किया। इसके बाद जब पाकिस्तान ने जवाबी गोलाबारी की कोशिश की, तो भारत ने और अधिक आक्रामक रुख अपनाते हुए पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों और रडार केंद्रों (लाहौर और गुजरांवाला) को भी निशाना बनाया।

पाकिस्तान की घुटने टेकने वाली पहल
भारत द्वारा किए जमीनी और हवाई हमले इतने सटीक थे कि पाकिस्तान को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ा। हालात को और बिगड़ने से बचाने के लिए आखिरकार पाकिस्तान को ही संघर्षविराम यानि की Ceasefire की गुहार लगानी पड़ी। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे भारत ने अपनी शर्तों पर स्वीकार किया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया था कि 10 मई की शाम से दोनों देशों के बीच सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी थी।
ऑपरेशन सिंदूर ने तोड़ी आतंकी नेटवर्क की कमर
राष्ट्रपति जरदारी का यह ताजा बयान भारत की बदली हुई कूटनीतिक और सैन्य ताकत का प्रमाण है। 'ऑपरेशन सिंदूर' ने न केवल आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ी, बल्कि पाकिस्तान के उस भ्रम को भी खत्म कर दिया कि वह 'परमाणु ब्लैकमेल' के जरिए भारत को चुप रख सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत ने इसे 'नॉन-एस्केलेटरी' (गैर-विस्तारवादी) लेकिन 'प्रिसिजन' कार्रवाई बताया, जिसे वैश्विक समर्थन मिला। जरदारी का बंकर वाला जिक्र यह साबित करने के लिए काफी है कि भारत का नया 'नया भारत' अब घर में घुसकर मारने की क्षमता और इच्छाशक्ति रखता है।