Edited By Rohini Oberoi,Updated: 06 Oct, 2025 04:39 PM

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में यौन संबंध और विवाह के वादे से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रेम-प्रसंग या सगाई से पहले की अवधि में आपसी समझ बढ़ाने के बाद यदि कोई वयस्क व्यक्ति सोच-समझकर शादी से इनकार...
नेशनल डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में यौन संबंध और विवाह के वादे से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रेम-प्रसंग या सगाई से पहले की अवधि में आपसी समझ बढ़ाने के बाद यदि कोई वयस्क व्यक्ति सोच-समझकर शादी से इनकार करता है तो इसे शादी का झूठा वादा तोड़ना नहीं माना जा सकता।
क्या था पूरा मामला?
यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है जिस पर एक महिला ने शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। महिला और आरोपी अप्रैल में एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए संपर्क में आए थे। आरोपी ने खुद को दुबई में अच्छी तरह से स्थापित बताया था। महिला के अनुसार जब आरोपी भारत आया तो उसने एक होटल में सहमति से शारीरिक संबंध बनाए और शादी का भरोसा दिया। महिला ने बाद में आरोप लगाया कि आरोपी ने उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें लीं और बाद में उसने व उसके परिवार ने दहेज की गैरकानूनी मांगें शुरू कर दीं जिसमें दुबई में फ्लैट, लग्जरी कार और नकदी शामिल थी। मांगें पूरी न होने पर शादी तोड़ने की धमकी दी गई।
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कोर्ट का अहम फैसला और जमानत
जस्टिस अरुण मोंगा की सिंगल बेंच ने 26 सितंबर को आरोपी को जमानत देते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि शादी से पहले की अवधि में दो लोगों का एक-दूसरे को जानने के लिए बातचीत करना या रिश्ता बनाना पूरी तरह से सामान्य है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस दौरान कोई एक पक्ष शादी न करने का फैसला लेता है तो इसे गलत तरीके से वादा तोड़ने के रूप में नहीं देखा जा सकता खासकर तब जब दोनों पक्ष वयस्क थे और रिश्ता अपनी मर्जी से शुरू किया था। कोर्ट ने कहा कि अगर यह मान लिया जाए कि लोग बातचीत के बाद अपना मन नहीं बदल सकते तो यह प्रेम-प्रसंग या सगाई से पहले की अवधि के मकसद को ही खत्म कर देगा।
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IPC की धारा 69 पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला के ब्लैकमेलिंग या दहेज की मांग के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तब भी ये आरोप भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 के तहत नहीं आते। धारा 69 शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने से संबंधित है। कोर्ट ने माना कि इस मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने शुरुआत से ही धोखा देने के इरादे से रिश्ता बनाया था। कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए यह सिद्धांत दोहराया कि 'जमानत नियम है, जेल अपवाद है' (Bail is the rule, jail is the exception)। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना अनुचित होगा।