Indian Railway: अब सफर होगा तेज, मिशन रफ्तार के तहत बिजी रूट पर ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार, कल से ट्रायल शुरू

Edited By Updated: 10 Oct, 2025 02:52 PM

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भारतीय रेलवे जल्द ही दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने वाला है। 11 अक्टूबर को चिपियाना बुजुर्ग से टुंडला तक 190 किलोमीटर के हिस्से में पहला हाईस्पीड ट्रायल होगा। सफल होने पर यह देश का पहला ऐसा रेलखंड बनेगा जहां ट्रेनें 160 किलोमीटर...

नेशनल डेस्कः भारतीय रेलवे जल्द ही यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आने वाला है। रेलवे अपने महत्वाकांक्षी मिशन ‘रफ्तार’ के तहत दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर ट्रेनों की गति बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। 11 अक्टूबर से इस रूट पर हाईस्पीड ट्रायल शुरू होंगे, जिनमें ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ेंगी। यह पहल देश की सबसे व्यस्त रेल लाइनों में तेज और सुरक्षित सफर सुनिश्चित करेगी और यात्रियों का समय भी बचेगा।

 

11 अक्टूबर को पहला ट्रायल

रेलवे 11 अक्टूबर को चिपियाना बुजुर्ग से टुंडला के बीच 190 किलोमीटर के हिस्से में पहला ट्रायल करेगा। अगर यह ट्रायल सफल रहता है, तो नई दिल्ली से टुंडला तक का यह खंड देश का पहला ऐसा रेलखंड बन जाएगा, जहां ट्रेनें इतनी तेज गति से चलेंगी। इसके बाद टुंडला-कानपुर, कानपुर-प्रयागराज और प्रयागराज-पंडित दीन दयाल उपाध्याय के बीच भी इसी तरह के ट्रायल किए जाएंगे।

रफ्तार को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाना

दिल्ली-हावड़ा मार्ग भारत के सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है। इस 1433 किलोमीटर लंबे मार्ग पर मिशन रफ्तार के लिए कुल 6974.50 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिनमें से अब तक 1002.12 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। फिलहाल इस रूट पर ट्रेनें 90 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं, लेकिन रेलवे का लक्ष्य मार्च 2026 तक इस रफ्तार को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाना है।

ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम

इस परियोजना की सफलता में ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम सबसे अहम भूमिका निभा रहा है। यह सिस्टम गाजियाबाद से पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) तक 760 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थापित किया जा चुका है। यह तकनीक कई ट्रेनों को एक साथ तेज और सुरक्षित गति से चलाने में मदद करती है और मानवीय गलतियों की संभावना को कम करती है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई, डेटा लॉगर, ड्यूल एक्सल काउंटर, ऑटो रीसेट सिस्टम और अर्थ लीकेज डिटेक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे तेज रफ्तार के दौरान भी सिग्नलिंग में कोई रुकावट नहीं आएगी।

 

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