भारत की बेटी धृति गुप्ता ने अमेरिकी आर्मी में एक लाख लड़कियों को पछाड़ा, मिली शानदार स्कॉलरशिप

Edited By Updated: 12 Aug, 2024 11:22 AM

raipur s dhriti gupta beat one lakh girls in us army

छत्तीसगढ़ के रायपुर की धृति गुप्ता ने अमेरिकी आर्मी में चयनित होकर एक नई उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक लाख से अधिक लड़कियों को पछाड़ते हुए अमेरिकी सेना में अपनी जगह बनाई है। धृति की ट्रेनिंग और पढ़ाई का पूरा खर्च अमेरिका की सेना द्वारा उठाया जा...

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ के रायपुर की धृति गुप्ता ने अमेरिकी आर्मी में चयनित होकर एक नई उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक लाख से अधिक लड़कियों को पछाड़ते हुए अमेरिकी सेना में अपनी जगह बनाई है। धृति की ट्रेनिंग और पढ़ाई का पूरा खर्च अमेरिका की सेना द्वारा उठाया जा रहा है, जो उनकी सफलता की कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाता है।

येल यूनिवर्सिटी में मिला दाखिला
धृति ने 12वीं कक्षा पास करने के बाद वायुसेना में चयनित होकर पहले ही एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। इसके बाद, एक महीने के भीतर, उन्हें अमेरिकी आर्मी में भी चुन लिया गया। इस चयन के साथ उन्हें 2.80 लाख डॉलर (करीब 2.34 करोड़ रुपये) की स्कॉलरशिप मिली, और येल यूनिवर्सिटी में दाखिला भी सुनिश्चित हो गया। पहले वायुसेना में चयन के दौरान उन्हें 2 लाख डॉलर (1.67 करोड़ रुपये) की स्कॉलरशिप मिली थी।

शिक्षा और प्रशिक्षण से मिली सफलता
अमेरिका में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, धृति ने एनसीसी और कैडेट कोर ग्रुप जॉइन किया। उनकी तीन साल की ट्रेनिंग के दौरान, उन्होंने गोल्ड मेडल भी हासिल किया और अपने ग्रुप की बेस्ट शूटर भी रहीं। वर्तमान में, धृति जूनियर रिजर्व ऑफिसर्स ट्रेनिंग कॉप्स (जेआरओटीसी) की सदस्य हैं और उनकी पढ़ाई की अवधि पूरी होने के बाद वे जूनियर रिसर्च ऑफिसर (जेआरओ) बन जाएंगी। पांच साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया जाएगा।

अमेरिकी वायुसेना और फिर आर्मी से मिला ऑफर
धृति की मां, वर्षा गुप्ता, ने बताया कि आर्मी भर्ती की परीक्षा में 7 लाख से अधिक प्रतिभागी थे, और धृति अकेली लड़की हैं, जिन्हें पहले अमेरिकी वायुसेना और फिर आर्मी से ऑफर मिला। इसके अलावा, धृति के दादा रमेश (70) और दादी शोभा (69) भी शिक्षा के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं। वे एमए की पढ़ाई कर रहे हैं, और दादा वकील तथा हैंडराइटिंग एक्सपर्ट हैं, जबकि दादी गरीब बच्चों के लिए विद्या निकेतन स्कूल चला रही हैं। धृति की इस सफलता ने न केवल उनके परिवार का बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। उनकी मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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