Exclusive: संसद में दो सत्र की मेहमान हैं मायावती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 04:37 PM

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राज्यसभा में इस्तीफे की धमकी देने वाली मायावती संसद के ऊपरी सदन में महज दो सत्र की मेहमान हैं चालू सत्र के इलावा दिसंबर में संसद के शीत कालीन सत्र होगा और इसके बाद जनवरी में.

नई दिल्ली: राज्यसभा में इस्तीफे की धमकी देने वाली मायावती संसद के ऊपरी सदन में महज दो सत्र की मेहमान हैं चालू सत्र के इलावा दिसंबर में संसद के शीत कालीन सत्र होगा और इसके बाद जनवरी में बजट सत्र में माया हिस्सा ले सकेंगी जबकि अप्रैल के महीने में उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। माया की पार्टी के पास उत्तर प्रदेश विधान सभा में इतने सदस्य नहीं हैं कि वह दोबारा राज्यसभा में पहुंच सकें। 
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राज्यसभा नहीं पहुंच पाएंगी मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद मायावती का कार्यकाल खत्म होने के बाद विधानसभा में बसपा की इतनी हैसियत नहीं है कि वह अपने दम पर मायावती को राज्यसभा में भेज सके। बसपा के पास यूपी विधासभा में महज 19 सदस्य हैं जो मायावती को राज्यसभा में भेजने के लिए काफी नहीं है।हालांकि विपक्ष में सेक्यूलर वोटों के झंडाबरदार बने लालू प्रसाद यादव किसी भी तरीके से मायावती को राज्यसभा पहुंचाने के पक्ष में हैं। माना जा रहा है कि यदि जरूरत हुई तो वह माया को राजद के कोटे से भी राज्यसभा भेज सकते हैं। लालू के पास मायावती को राज्यसभा भेजने का दूसरा विकल्प सपा का सर्मथन दिलाना है।
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ऐसे रोकेंगे अमित शाह
हालांकि ये लगभग नामुमकिंन है लेकिन लालू अपने समधी मुलायाम के साथ बातचीत कर मोदी को रोकने के लिए ये चाल भी चल सकते हैं। लालू की इस मंशा को भांप कर ही अमित शाह ने सपा में टूट डालने का प्लान तैयार कर लिया है। शिवपाल सिंह यादव का हाल ही में भाजपा प्रेम जागना इसका जीता जागता उदाहरण है। यदि सपा टूटती है तो भाजपा को इसका दुगना फायदा होगा। 2019 में भाजपा के सामने मजबूत सपा नहीं रहेगी और न ही बसपा उतनी सक्रियता से राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभा सकेगी जितनी मायावती के संसद में बरकरार रहने पर निभाने की संभावना है।
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यूपी में खाली होंगी राज्यसभा की 10 सीटें
अगले साल अप्रैल के पहले हफ्ते उत्तर प्रदेश मे राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो जाएंगी। इनमें से अधिकतर सीटें सपा या बसपा के कोटे की हैं लेकिन विधाससभा की मौजूदा स्थिति के हिसाब से बसपा के हाथ एक सीट भी आती हुई नजर नहीं आ रही। यदि सपा एकजुट रही तो उसे दो सीटें मिल सकती है। जबकि 8 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। क्योंकि भाजपा के पास 403 सीटों वाली विधानसभा में 308 विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा के सहयोंगियों के पास 20 सीटें है।
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