Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Jan, 2022 02:18 PM
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा से पीठासीन अधिकारी से दुर्व्यवहार करने के आरोप में एक साल के लिए निलंबित किए गए भाजपा के 12 विधायकों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली..
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा से पीठासीन अधिकारी से दुर्व्यवहार करने के आरोप में एक साल के लिए निलंबित किए गए भाजपा के 12 विधायकों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर अपना फैसला बाद में सुनायेगा।न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संबंधित पक्षों से कहा है कि वे एक हफ्ते के अंदर-अंदर लिखित दलीलें दें।
शुरुआत में, एक विधायक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी थी कि लंबे समय तक निलंबित रखना, निष्कासन से भी बदतर है क्योंकि इससे निर्वाचकों के अधिकार प्रभावित होते हैं। अन्य विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक साल के निलंबन का फैसला पूरी तरह से तर्कहीन है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा था कि विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित करने को कोई मकसद होना चाहिए और सदस्यों को अगले सत्र तक में शामिल होने की अनुमति नहीं देने का "जबरदस्त" कारण होना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों ने एक साल के लिए निलंबित करने वाले विधानसभा में पारित प्रस्ताव को चुनौती दी है।
उन्हें पिछले साल पांच जुलाई को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने उन पर विधानसभा के अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ "दुर्व्यवहार" करने का आरोप लगाया था। निलंबित 12 सदस्यों में संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया शामिल हैं। इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया था और इसे ध्वनि मत से पारित किया गया था।