Edited By Utsav Singh,Updated: 16 Oct, 2024 01:20 PM
भारत के विदेश मंत्री, डॉ. एस जयशंकर, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद हैं। इस मौके पर उन्होंने एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक को संबोधित किया।
नेशनल डेस्क : भारत के विदेश मंत्री, डॉ. एस जयशंकर, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हैं। इस अवसर पर उन्होंने एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक को संबोधित किया। यह बैठक क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण है, और इसमें कई देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। जयशंकर का यह दौरा दोनों देशों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने का एक अवसर प्रदान करता है।
पाकिस्तान को बधाई
अपने संबोधन की शुरुआत में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को इस वर्ष शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता के लिए बधाई दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान की सफल अध्यक्षता के लिए अपना पूरा समर्थन देने का वादा करता है। इस कदम से दोनों देशों के बीच सकारात्मक संवाद और सहयोग की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा
जयशंकर ने कहा कि हम एक कठिन समय में हैं। इस समय दुनिया में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं, जिनका व्यापक असर है। कोविड-19 महामारी ने विकासशील देशों में कई लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखलाओं में अनिश्चितता और वित्तीय अस्थिरता जैसी समस्याएं भी विकास को बाधित कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऋण एक गंभीर चिंता का विषय है, जबकि वैश्विक विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में हम पीछे हैं।
आतंकवाद पर ध्यान
जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि एससीओ के सदस्यों को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर सोचना चाहिए। उन्होंने संगठन के चार्टर का उल्लेख किया और कहा कि इसके लक्ष्यों में आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी संबंधों को मजबूत करना शामिल है। उन्होंने तीन मुख्य चुनौतियों का जिक्र किया: आतंकवाद, अलगाववाद, और उग्रवाद।
ईमानदारी से बातचीत की जरूरत
जयशंकर ने कहा कि अगर हमें इन चुनौतियों का सामना करना है, तो हमें ईमानदारी से बातचीत करनी होगी। अगर सहयोग और विश्वास की कमी है, तो हमें आत्मनिरीक्षण करना होगा और समस्याओं को समझना होगा। चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से ही हम सहयोग और विकास के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
शांति और स्थिरता का महत्व
जयशंकर ने यह भी बताया कि विकास के लिए शांति और स्थिरता अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि अगर सीमा पार से आतंकवाद और उग्रवाद की गतिविधियाँ जारी रहती हैं, तो इससे व्यापार और संपर्क में वृद्धि की संभावना कम हो जाती है। इस तरह की गतिविधियों का सामना करने के लिए एक समर्पित और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिल सके और सभी देशों का विकास सुनिश्चित हो सके।
बैठक का महत्व
इस बैठक से पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने विदेश मंत्री एस जयशंकर का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह बैठक सालाना आयोजित होती है, और खास बात यह है कि यह पिछले नौ वर्षों में पहली बार है जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान आए हैं। दोनों देशों के बीच कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों को लेकर संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में यह दौरा और बैठक दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ाने और आपसी समझ को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
इस प्रकार, एस जयशंकर का यह दौरा और उनका संबोधन दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।