जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्राीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, जानें केंद्र ने क्या कहा?

Edited By Yaspal,Updated: 06 Jan, 2023 08:10 PM

supreme court expressed displeasure over the appointment of judges

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित ढीले रवैए पर शुक्रवार को एक बार फिर नाराजगी व्यक्त करने के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि वह समयसीमा का पालन करेगी और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएगी

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित ढीले रवैए पर शुक्रवार को एक बार फिर नाराजगी व्यक्त करने के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि वह समयसीमा का पालन करेगी और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएगी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ के समक्ष‘एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु'द्वारा दायर एक अवमानना ????याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र सरकार का पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का आश्वासन आश्वासन दिया।

वेंकटरमणी ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 104 में से 44 सिफारिशों (न्यायाधीशों के नाम) को या तो शनिवार या इस सप्ताह के अंत तक मंजूरी दे दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरी बार भेजे गए नामों को वापस भेजना चिंता का विषय है। नियुक्ति में देरी के संभावित कारणों पर गौर करते हुए पीठ ने पूछा - क्या न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संबंध में तीसरा पक्ष निर्णयों को प्रभावित कर रहा था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा चुने गए वकीलों के राजनीतिक विचारों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए। एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता अमित पई के माध्यम से दायर इस अवमानना ????

याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निर्धारित समय सीमा के संबंध में शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया है। श्री वेंकटरमणी ने कहा कि उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा तय समयसीमा के अनुरूप सभी प्रयास किए जा रहे हैं। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से विशेष तौर पर उन पांच नामों के बारे में भी पूछा, जिनकी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए पिछले साल दिसंबर में कोलेजियम ने सिफारिश की थी।

इस पर वेंकटरमणी ने कहा कि अदालत इसे कुछ समय के लिए टाल सकती है। पीठ ने सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल से यह भी पूछा कि सीमित भूमिका होने के बावजूद सरकार न्यायाधीशों के तबादले को लेकर क्यों बैठी है। पीठ ने कहा कि शिफारिशों को लंबित रखने से बहुत गलत संकेत जाता है। पीठ ने कहा,‘यह कॉलेजियम को अस्वीकार्य है।‘ शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए 22 नाम केंद्र ने हाल ही में लौटाए थे, इनमें से कुछ नामों को पहले कॉलेजियम द्वारा दोहराया गया था।

अदालत ने आगे कहा गया है कि कॉलेजियम द्वारा कुछ नामों को तीन बार दोहराया गया, बावजूद इसके केंद्र ने उन्हें वापस कर दिया। पीठ ने एक बार फिर कहा कि एक बार जब कॉलेजियम नामों की शिफारिश दोहराता है तो संबंधित न्यायाधिशों की नियुक्ति को मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के कारण न्यायाधीश पद के कई उम्मीदवार अपनी सहमति वापस ले लेते हैं या सहमति नहीं देते हैं।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!