20 प्रतिशत क्षेत्र वन के रूप में विकसित करने का लक्ष्य

Edited By Archna Sethi,Updated: 05 Nov, 2022 07:59 PM

target to develop 20 percent area as forest

पौधारोपण के साथ-साथ वृक्षों की सुरक्षा की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।  इस कार्य को लेकर सभी को जागरूक होना होगा। जिस प्रकार से अपने परिवार और बच्चों की चिंता की जाती है। वैसे ही हम सभी को मिलकर वृक्षों की चिंता करनी होगी। तभी जलवायु परिवर्तन...


चंडीगढ़, 5 नवंबर- (अर्चना सेठी) पौधारोपण के साथ-साथ वृक्षों की सुरक्षा की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।  इस कार्य को लेकर सभी को जागरूक होना होगा। जिस प्रकार से अपने परिवार और बच्चों की चिंता की जाती है। वैसे ही हम सभी को मिलकर वृक्षों की चिंता करनी होगी। तभी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकेगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के राधाकृष्ण सभागार में आयोजित भारत में वन क्षेत्र से बाहर वृक्ष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

 

उन्होंने कहा कि अपने हाथों से लगाए हुए पेड़ जब बड़े हो जाते हैं। तब उनके पास जाकर बड़ा सुकून मिलता है। वृक्ष हमेशा से ही मनुष्य के लिए अहम रहे हैं और हमारे बुजुर्गों को इस बात का पता है। प्राचीन काल से ही जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय रहा है और हमारे ऋषि मुनि इस बात से अवगत थेद्घ वे हमेशा पानी, पृथ्वी व प्रकृति आदि की चिंता किया करते थे और इसी को लेकर उन्होंने ऐसे प्रावधान बनाएं कि लोगों का वृक्षों एवं प्रकृति आदि के प्रति एक भाव पैदा हो। उन्हीं संस्कारों के चलते हमारे देश में नदी, पेड़ व पृथ्वी आदि को आज भी माता कहा जाता है।


उन्होंने कहा कि दुनिया के विकास के चलते प्रकृति के साथ संतुलन बिगड़ा है। विकास मानव के लिए जरूरी है। लेकिन इसके साथ-साथ प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना उससे भी ज्यादा जरूरी है। आज चिंता खत्म हो गई है और पेड़ों की कटाई के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आने लगे। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के समय हरियाणा और पंजाब में फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए केमिकल और पेस्टिसाइड का भरपूर प्रयोग किया गया। इससे पैदावार तो बढ़ा ली गई। लेकिन फसल की गुणवत्ता खत्म हो गई। ऐसे ही पानी ने प्रदूषण के कारण जल भी प्रदूषित हो गया है। वायु प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की महामारी के समय सबने देखा है कि किस प्रकार से लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी और शरीर की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए प्राकृतिक ऑक्सीजन की बजाए मानव निर्मित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पड़े। यह प्राकृतिक संतुलन बिगडऩे का ही कारण है, जिसको लेकर आज पूरी दुनिया में चिंता व्यक्त की जा रही है। सभी देश इसको लेकर काम करने के लिए आगे आए हैं। इसी कड़ी में भारत में वन क्षेत्र से बाहर वृक्ष नामक कार्यक्रम की शुरुआत आज हरियाणा से हुई है। इसके लिए यू एस ऐड फाउंडेशन सहयोग कर रही है। योजना के तहत वन्य क्षेत्रों के बाहर वृक्ष लगाने पर विशेष फोकस रहेगा।


उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का छोटा सा प्रदेश है और यहां केवल 3.5 प्रतिशत वन क्षेत्र है। अगर वन क्षेत्र से बाहर वृक्षों की बात की जाए तो वह भी केवल 3.2 प्रतिशत ही है। कुल मिलाकर लगभग 6.7 प्रतिशत वन क्षेत्र माना जा सकता है और इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 20 प्रतिशत क्षेत्र को वृक्ष लगाकर वनों के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर शिक्षण संस्थाओं में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। ताकि  बच्चों के माध्यम से इस कार्यक्रम को तेजी से सफल बनाया जा सके।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग द्वारा हर वर्ष प्रदेश में करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन अगर कुछ माह बाद उनकी स्थिति जांची जाए तो लगभग 5 प्रतिशत पौधे ही विकसित हो पाते है। ऐसे में इस व्यवस्था की ओर ध्यान देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। हम सभी को समझना होगा कि पेड़ लगाने तक सीमित रहने से जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता। पेड़ लगाने के बाद उसकी रक्षा भी हमें ही करनी होगी। तभी पेड़ के विकसित होने के बाद उसका पूरा लाभ मनुष्य को मिल पाएगा। सरकार की ओर से पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेया के जाने माने पर्यावरण संरक्षणकर्ता डा दर्शनलाल जैन के नाम से राज्य पर्यावाण सुरक्षा पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसके तहत तीन लाख रूपए की राशि दी जाती है।  


उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से पौधों को बढ़ावा देने और पेड़ों के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ऐसी ही एक कार्यक्रम पौधगिरी के नाम से शुरू किया गया था, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 22 लाख बच्चों को एक पौधा दिया जाता है और तीन साल उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी उसी बच्चे की होती है। इसके लिए उस बच्चे को हर साल 50 रूपए मिलते हैं। कोराना की महामारी के कारण यह कार्यक्रम दो साल ही चल पाया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल से शिक्षा व वन विभाग के माध्यम से यह कार्यक्रम दोबार शुरू किया जाएगा।


कार्यक्रम में यूएस ऐड फाऊंडेशन की इंडिया मिशन निदेशक करेन क्लीमोसकी ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों की सराहना की और कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल व हरियाणा सरकार की ओर से जलवायु परिवर्तन को लेकर उठाए गए कदम अहम हैं। प्रदेश सरकार ने भारत में वन क्षेत्र के बाहर वृक्ष कार्यक्रम के तहत लगभग 28 लाख हेक्टेयर में पेड़ो को विकसित करने का बड़ा लक्ष्य रखा है। हरियाणा से ही इस कार्यक्रम की शुरूआत हो रही है।

 

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