आतंकवाद से मुख्यधारा तक : जम्मू-कश्मीर के युवकों ने कई कारणों से आतंक का रास्ता छोड़ा

Edited By Monika Jamwal,Updated: 28 Dec, 2020 07:47 PM

terrorist surrender in kashmir

एक युवक ने भालू से बचने के लिए पेड़ पर रात बिताई और उसके बाद उसने सुरक्षा बलों के समक्ष इसलिए आत्मसमर्पण कर दिया कि उसका मानना था कि उसे आतंकवादी बनने के लिए भर्ती करने वालों ने उसे मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया।


अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर): एक युवक ने भालू से बचने के लिए पेड़ पर रात बिताई और उसके बाद उसने सुरक्षा बलों के समक्ष इसलिए आत्मसमर्पण कर दिया कि उसका मानना था कि उसे आतंकवादी बनने के लिए भर्ती करने वालों ने उसे मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया। एक अन्य युवक ने ऑपरेशन के बीच में ही अपने माता-पिता की गुहार पर हथियार डाल दिए। सेना के अधिकारियों के समक्ष इस वर्ष हथियार डालने वाले 17 युवकों की कहानियां अलग-अलग हैं लेकिन उनका उद्देश्य एक है -- मुख्य धारा में लौटने की चाहत। अधिकारियों ने बताया कि सेना आत्मसमर्पण पर ध्यान केंद्रित कर रही है और घाटी में कई सफल आतंकवाद निरोधक अभियान चलाए हैं, खासकर दक्षिण कश्मीर में। तीन महीने पहले घाटी के 24 वर्षीय युवक को स्थानीय आतंकवादी अब्बास शेख ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए मनाया। अधिकारियों ने बताया कि उसे एक ग्रेनेड दिया गया और उसे द रेसिसटेंस फ्रंट (टीआरएफ) का सदस्य बनाया गया, जिसे प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा का ही अंग माना जाता है।

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उन्होंने कहा कि जल्द ही उसका मोहभंग हो गया। युवक की पहचान छिपाकर रखी गई है, उसने एक रात पेड़ पर बिताई, वह जंगली भालू से डरा हुआ था और भूखा था। वह कोकरनाग के जंगलों में घूम रहा था जब उसका सामना भालू से हुआ। पूछताछ रिपोर्ट में उसके हवाले से कहा गया, "भालू मेरे पीछे दौड़ा और मैं एक पेड़ पर चढ़ गया। मैं पूरे दिन और रात पेड़ पर रहा, भूख लगी हुई थी और हाथ में ग्रेनेड था। मुझे महसूस हुआ हमारे आका हमें मूर्ख बना रहे हैं।" एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यही से उसकी जिंदगी में बदलाव आया। उसने दक्षिण कश्मीर के अंदरूनी हिस्से में सेना की एक इकाई के समक्ष हथियार डाल दिए। उससे वादा किया गया कि वह और उसका परिवार अब सामान्य जीवन जी सकते हैं। उन्होंने आत्मसमर्पण का ब्यौरा नहीं दिया।

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एक अन्य घटना में 22 दिसंबर को 34 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को सूचना मिली कि कुलगाम जिले के तांत्रीपुरा में लश्कर ए तैयबा के दो आतंकवादी मौजूद हैं। दोनों आतंकवादियों की पहचान यावर वाघे और अमीर अहमद मीर के तौर पर हुई। एक अधिकारी ने कहा, "से ही हमने अभियान शुरू किया, हमें पता चला कि दोनों स्थानीय नागरिक हैं जो कुछ महीने पहले आतंकवादी बने हैं।" एक अधिकारी ने बताया, च्च्वाघे के बुजुर्ग पिता और मां ने अपने बेटे से गुहार लगाई और वह बाहर निकला तथा जवानों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। हमने मीर के माता-पिता से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया और वह भी बाहर निकल आया और हथियार डाल दिए।"

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इस वर्ष हथियार डालने वाले 17 आतंकवादियों में अल-बद्र आतंकवादी समूह का शोएब अहमद भट भी है जिसने इस वर्ष अगस्त में आत्मसमर्पण किया था। वह उस समूह का हिस्सा था जिसने दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में टेरीटोरियल आर्मी के एक जवान की हत्या की थी।  प्रयास हमेशा सफल नहीं होता। अधिकारियों ने बताया कि सेना के जवानों ने शनिवार को शोपियां जिले के कनीगाम में एक अभियान के दौरान आतंकवादियों से आत्मसमर्पण करने की अपील की। बहरहाल, आतंकवादियों ने आग्रह पर ध्यान नहीं दिया और वे मारे गए।

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