इस बोस ने सौंपी थी नेताजी को आजाद हिंद फौज की कमान

Edited By Updated: 23 Jan, 2018 01:47 PM

this bose had entrusted netaji to the command of the azad hind fauj

23 जनवरी, 1897 को जन्मे महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 121 साल बाद भी रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत पर कई तरह की अटकलें सामने आती रही हैं। नेताजी की 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में मृत्यु विमान दुर्घटना में हो गई थी लेकिन फ्रांस की...

नेशनल डेस्कः 23 जनवरी, 1897 को जन्मे महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 121 साल बाद भी रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत पर कई तरह की अटकलें सामने आती रही हैं। नेताजी की 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में मृत्यु विमान दुर्घटना में हो गई थी लेकिन फ्रांस की खुफिया रिपोर्ट तक दावा कर चुकी है कि वे 1947 तक जीवित थे। ये तो मालूम नहीं कि ये मामला कब सुलेगा लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि आजाद हिंद फौज की नींव सुभाष चंद्र बोस ने नहीं बल्कि रास बिहारीबोस ने रखी थी। रास बिहारीबोस ने ही इस फौज का झंडा और नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस के हवाले किया था। रास बिहारीबोस गदर क्रांति से लेकर अलीपुर बम कांड केस तक, गर्वनर जनरल हॉर्डिंग की हत्या की प्लानिंग से लेकर मशहूर क्रांतिकारी संगठन युगांतर पार्टी के उत्तर भारत में विस्तार तक कई ऐसे क्रांतिकारी षडयंत्रों में शामिल थे।
PunjabKesari
रास बिहारीबोस ने ही ‘इंडियन करी’ का ईजाद किया था। इनकी यह करी जापान तक फेमस हुई और हर रेस्तरां के मेन्यू में शामिल थी। 1925 में पत्नी की मौत के बाद रास बिहारी ने देश से अंग्रेजों को खदेड़ने का बीड़ा उठाया तब तक महात्मा गांधी देश में सबसे बड़े नेता के तौर पर उभर चुके थे लेकिन रास बिहारी को लगा कि देश को गर्म खून की जरूरत है जो देशवासियों में नया जोश भर सके। फिर क्या था उन्होंने मोहन सिंह और जापानियों की मदद से इंडियन नेशनल आर्मी बनाई। रास बिहारी ने साउथ ईस्ट एशिया के देशों के दौरे करने शुरू कर दिए और भारत की आजादी की जंग के लिए सपोर्ट जुटाने लगे। थाइलैंड जापान के कब्जे में था, बैंकाक में तय किया गया कि मोहन सिंह की आईएनए को इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के अधीन लाया जाए और रास बिहारी बोस को इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का प्रेसीडेंट बना दिया गया।
PunjabKesari
रास बिहारी को जब सुभाष चंद्र बोस के बारे में पता चला तो उन्हें लगा कि बोस से बेहतर कोई करिश्माई नेतृत्व युवाओं का नहीं हो सकता। 20 जून 1943 को सुभाष चंद्र बोस टोक्यो पहुंचे। जापान पहुंचने पर वे रास बिहारी बोस से मिले। रास बिहारी सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थे। वे एक-दूसरे के प्रशंसक थे। 5 जुलाई, 1943 को रास बिहारी बोस ने सिंगापुर में लीग और इंडियन नेशनल आर्मी की कमान नेताजी को सौंप दी और खुद सलाहकार के तौर पर काम करने लगे लेकिन लंग इनफेक्शन के चलते वे ज्यादा समय तक नेताजी का साथ नहीं दे पाए। रास बिहारी बोस की गतिविधियों और कार्यों को देखते हुए जापान सरकार ने उनको जापान के दूसरे सबसे बड़े अवॉर्ड ‘ऑर्डर ऑफ दी राइजिंग सन’ से सम्मानित किया। वहीं नेताजी ने आजाद हिंद फौज की जिम्मेदारी बाखूबी निभाई।

PunjabKesari

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!