देश के करोड़ों किसानों के लिए अच्छी खबर, कीटनाशकों की लागत में होगी बचत, सरकार ने लॉन्च की नैनो डीएपी

Edited By Pardeep,Updated: 26 Apr, 2023 09:37 PM

use of liquid dap urea will make india self sufficient in fertilizer production

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को किसानों से तरल नैनो डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और तरल नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन कृषि आदानों के व्यापक उपयोग से उर्वरक उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनेगा और आयात पर निर्भरता कम...

नई दिल्लीः सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को किसानों से तरल नैनो डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और तरल नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन कृषि आदानों के व्यापक उपयोग से उर्वरक उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बनेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। 

पारंपरिक डीएपी (50 किलो) के एक बैग की कीमत 1,350 रुपए 
इफको के नैनो (तरल) डीएपी उर्वरक को वाणिज्यिक बिक्री के लिए 500 मिलीलीटर की बोतल में पेश करते हुए शाह ने कहा कि यह तरल कृषि आदान कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने में मदद करेगा और साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य के संरक्षण में भी मदद करेगा। इस 500 मिलीलीटर की बोतल का दाम 600 रुपए है। यह तरल डीएपी की कीमत पारंपरिक डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की वर्तमान कीमत से आधी से भी कम है। पारंपरिक डीएपी (50 किलो) के एक बैग की कीमत 1,350 रुपए है। तरल उर्वरकों के उपयोग के लाभों में आयात खर्च कम करने के अलावा मृदा संरक्षण, उच्च फसल उपज, आसान परिवहन और भंडारण शामिल हैं। 

इफको को 20 साल के लिए मिला नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के लिए पेटेंट 
शाह ने कहा कि भारत की 60 प्रतिशत आबादी कृषि और संबंधित गतिविधियों से जुड़ी है और यह ‘क्रांतिकारी विकास' देश को उर्वरक के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' बनने में मदद करेगा। 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी बिल 2.25 लाख करोड़ रुपए था। उन्होंने कहा कि नैनो डीएपी के इस्तेमाल से किसानों को फसल उत्पादन पर होने वाले खर्च में छह से 20 प्रतिशत की कमी लाने में मदद मिल सकती है। मंत्री ने कहा कि इफको को 20 साल के लिए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के लिए पेटेंट मिला है और इस सहकारी संस्था को उत्पादों के इस्तेमाल में लाने के एवज में रॉयल्टी मिलेगी। सरकार ने इस साल मार्च में नैनो डीएपी (तरल) अधिसूचित किया था। 

इफको ने एक बयान में कहा कि उसने गुजरात के कलोल, कांडला और उड़ीसा के पारादीप में नैनो डीएपी उर्वरकों के उत्पादन के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं। कलोल संयंत्र में उत्पादन शुरू हो चुका है और इस साल 25 लाख टन डीएपी के बराबर नैनो डीएपी लिक्विड की पांच करोड़ बोतल का उत्पादन किया जाएगा। अनुमान है कि इफको द्वारा 2025-26 तक नैनो डीएपी की 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन पारंपरिक डीएपी के 90 लाख टन की जगह लेगा। नैनो डीएपी में एक बोतल में आठ प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है, जो पारंपरिक डीएपी के 50 किलोग्राम के बैग का स्थान ले सकता है। 

नैनो डीएपी फसल की पोषण गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी
इफको ने आगे कहा कि उसने अगस्त, 2021 से नैनो यूरिया की 5.44 करोड़ बोतलें बेची हैं। इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी ने कहा कि नैनो डीएपी को किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया गया है। इफको के प्रबंध निदेशक यू.एस. अवस्थी ने कहा, ‘‘नैनो डीएपी फसल की पोषण गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी पाया गया है और इसका पर्यावरण पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है।

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