Edited By Mehak,Updated: 06 Aug, 2025 01:11 PM

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से बहुत बड़े स्तर पर तबाही मची। तेज बारिश के साथ आई बाढ़ ने कई घरों, पुलों और सड़कों को नुकसान पहुंचाया है। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पानी के तेज बहाव...
नेशनल डेस्क : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से बहुत बड़े स्तर पर तबाही मची। तेज बारिश के साथ आई बाढ़ ने कई घरों, पुलों और सड़कों को नुकसान पहुंचाया है। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पानी के तेज बहाव के साथ भारी मात्रा में मिट्टी, पत्थर और पेड़ भी बहते हुए दिखाई दे रहे हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि उन्होंने पिछले दो दिनों से रेड अलर्ट भी जारी किया हुआ था।
क्या होता है बादल फटना?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर किसी इलाके में एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश हो जाए, तो इसे 'बादल फटना' कहा जाता है। यह घटना आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है, लेकिन मैदानी इलाकों में भी संभव है।

पहाड़ों में क्यों खतरनाक होता है बादल फटना?
पर्वतीय इलाकों में जमीन समतल न होने के कारण पानी जमा नहीं हो पाता। तेज ढलान के कारण बारिश का पानी तेजी से नीचे की ओर बहता है और नदियों में मिल जाता है। इस कारण नदियों में बहाव बहुत तेज हो जाता है, जो अपने साथ मिट्टी, चट्टानें और पेड़ तक बहा ले जाता है। जिससे बड़ी तबाही होती है।
मानसून टर्फ है भारी बारिश की वजह
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हो रही भारी बारिश की मुख्य वजह है मानसून टर्फ (Monsoon Trough) का तराई क्षेत्र की ओर झुकना। इससे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी वाली हवाएं पहाड़ों की तरफ जाती हैं और भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसी ही स्थितियां 2013 की केदारनाथ आपदा के समय भी देखी गई थीं।

रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट की आशंका
मौसम विभाग ने अगले 12 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। इससे राहत और बचाव कार्यों में दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि, कल से बारिश में कुछ कमी आने की उम्मीद है जिससे राहत कार्यों में तेजी लाई जा सकती है। लेकिन यह राहत ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी। 12 अगस्त के बाद फिर से भारी बारिश का पूर्वानुमान है, जिससे भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि अगले तीन-चार दिनों में बचाव कार्य तेजी से पूरे किए जाएं।

प्रशासन अलर्ट, जनता से अपील
उत्तरकाशी में रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। सेना, NDRF और SDRF की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है और स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि:
- नदियों और झरनों के पास न जाएं।
- अफवाहों से बचें और केवल सरकारी सूचनाओं पर भरोसा करें।
- किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन से तुरंत संपर्क करें।