Edited By Anu Malhotra,Updated: 08 Sep, 2025 09:15 AM
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर धरती अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे तो क्या होगा? यह एक अजीब कल्पना लग सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने पर हमारी दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। दिन-रात का चक्र रुक जाएगा, मौसम बिगड़ जाएंगे और जीवन के लिए...
नेशनल डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि अगर धरती अपनी धुरी पर घूमना बंद कर दे तो क्या होगा? यह एक अजीब कल्पना लग सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने पर हमारी दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। दिन-रात का चक्र रुक जाएगा, मौसम बिगड़ जाएंगे और जीवन के लिए हालात बहुत मुश्किल हो जाएंगे। धरती की घूर्णन गति हमारे जीवन के हर हिस्से से जुड़ी है - और इसके रुकने का असर विनाशकारी हो सकता है।
बता दें कि धरती हर पल पृथ्वी लगभग 1600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी धुरी पर घूम रही है। लेकिन अगर कल्पना करें कि एक दिन यह घूमना अचानक थम जाए - तो नतीजे सिर्फ डरावने नहीं होंगे, बल्कि जीवन के अस्तित्व ही खत्म हो जाएंगे। पर्यावरण अनुसंधान संस्थानों में वैज्ञानिकों ने इस विचार पर गंभीर अध्ययन किया है। हालांकि इसका वास्तविक होना असंभव है, लेकिन ये सोचने भर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पृथ्वी की घूर्णन गति हमारे लिए कितनी ज़रूरी है।
एक सेकंड में तबाही: अचानक रुक गई धरती तो होगा क्या?
धरती की सतह पर हर चीज- इंसान, पेड़, इमारतें, महासागर - इसकी गति के साथ ही घूम रहे हैं। यदि यह रफ्तार अचानक थम जाए, तो वे सभी चीजें अपनी जड़ता के कारण उसी स्पीड में आगे बढ़ेंगी।
-सड़कों से गाड़ियां उछल जाएंगी
-समुद्र की लहरें शहरों को निगल लेंगी
-इमारतें गिरेंगी
-और पूरा वातावरण बवंडर में बदल जाएगा
-यह घटना किसी वैश्विक प्रलय से कम नहीं होगी।
समंदर पलटेगा दिशा, शहर डूब जाएंगे
आज पृथ्वी अपनी घूर्णन के कारण थोड़ी चपटी है और समुद्र का जल अधिकतर भूमध्य रेखा के आसपास जमा रहता है। लेकिन यदि घूर्णन रुक जाए तो गुरुत्वाकर्षण समुद्र के जल को ध्रुवों की ओर खींचेगा।
नतीजतन, कई तटीय शहर पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं
वहीं, भूमध्य रेखा वाले इलाकों में पानी की कमी से रेगिस्तान बनने लगेंगे
नक्शे पर पूरी तरह से नई भौगोलिक संरचनाएं उभरेंगी।
दिन और रात की लय खत्म - एक तरफ आग, दूसरी ओर बर्फ
घूर्णन के थमते ही दिन-रात का प्राकृतिक चक्र टूट जाएगा। एक ओर पृथ्वी का हिस्सा लगातार सूरज की रोशनी में रहेगा और दूसरी ओर अंधेरे में डूबा रहेगा।
-सूरज की ओर वाले हिस्से में भीषण गर्मी फैलेगी
-जबकि अंधेरे हिस्से में कड़ाके की ठंड जानलेवा होगी
-फसलें बर्बाद होंगी, इंसान और जानवरों के लिए अनुकूल तापमान नहीं बचेगा
-हवाओं, बारिश और मौसमी चक्र का संतुलन पूरी तरह टूट जाएगा
जीव-जंतुओं का जीवन चक्र चरमरा जाएगा
पेड़-पौधे और जीव-जंतु दिन-रात के संतुलन पर काम करते हैं। अगर यह गड़बड़ाता है तो:
-फोटोसिंथेसिस रुक जाएगी, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो सकती है
-पक्षियों का प्रवास चक्र, जानवरों का प्रजनन समय, और पौधों की विकास प्रक्रिया प्रभावित होगी
-कुछ प्रजातियां बिल्कुल ही विलुप्त हो सकती हैं
चुंबकीय ढाल खत्म - विकिरण और ज्वालामुखी बनेंगे खतरा
धरती के घूमने से इसके अंदर का लिक्विड आयरन कोर भी घूमता है, जिससे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बनता है। यह हमें सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है।
अगर घूमना रुक गया तो:
-यह चुंबकीय सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा
-रेडिएशन सीधे धरती की सतह पर आकर कैंसर, त्वचा रोग और DNA डैमेज कर सकता है
-साथ ही, धरती के भीतर का संतुलन बिगड़ेगा - जिससे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और प्लेट मूवमेंट की दर तेज हो जाएगी
तो क्या यह सब हो सकता है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होना बेहद असंभव है, क्योंकि पृथ्वी की गति गुरुत्वाकर्षण बलों और ब्रह्मांडीय संतुलन से नियंत्रित होती है। लेकिन इस परिकल्पना से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हमारे ग्रह की गति, उसकी स्थिरता और जीवन की हर सांस - सब एक जटिल प्राकृतिक तंत्र का हिस्सा हैं।