मनरेगा होगा खत्म! सरकार लाने जा रही नया रोजगार कानून, जानें क्या होगें बदलाव

Edited By Updated: 15 Dec, 2025 02:05 PM

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केंद्र सरकार मनरेगा को खत्म कर नया रोजगार कानून लाने की तैयारी में है। इसके लिए विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल संसद में पेश किया जा सकता है। नए कानून में काम के दिनों की सीमा 100 से बढ़ाकर 125 करने और राज्यों की भूमिका...

नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) यानी मनरेगा को खत्म कर उसकी जगह एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए संसद में एक नया विधेयक पेश किए जाने की संभावना जताई जा रही है। प्रस्तावित नए कानून का नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) रखा गया है।

फिलहाल लागू मनरेगा कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 दिनों के वेतनयुक्त रोज़गार की कानूनी गारंटी दी जाती है। लेकिन नए कानून में इस व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रस्ताव के मुताबिक, नए कानून के तहत राज्य सरकारों की भूमिका और वित्तीय हिस्सेदारी बढ़ेगी, वहीं ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन किए जाने का प्रावधान किया गया है।

लोकसभा सांसदों में सर्कुलेट किया गया बिल
सरकार ने सोमवार को इस प्रस्तावित बिल की एक प्रति लोकसभा सदस्यों के बीच सर्कुलेट की है। बिल का उद्देश्य “विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप एक नया ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना” बताया गया है। बिल की प्रति के अनुसार, सरकार संसद में विकसित भारत-गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025 पेश करने और इसके साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 को समाप्त करने की योजना बना रही है।

नए कानून में क्या होगा खास?
नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य “एक समृद्ध, सशक्त और लचीले ग्रामीण भारत” के निर्माण को बढ़ावा देना बताया गया है। इसमें सशक्तिकरण, विकास और तरक्की पर विशेष ज़ोर दिया गया है। सरकार का मानना है कि यह कानून ग्रामीण विकास के ढांचे को विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा।

प्रस्तावित कानून के तहत एक सेंट्रल ग्रामीण रोज़गार गारंटी काउंसिल के गठन का भी प्रावधान है। इस परिषद में एक चेयरपर्सन के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके साथ ही पंचायती राज संस्थानों, मज़दूर संगठनों और समाज के कमज़ोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 से अधिक गैर-सरकारी सदस्य भी इसमें शामिल किए जाएंगे। परिषद में भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी से नीचे के पद का एक अधिकारी मेंबर-सेक्रेटरी के रूप में होगा।

संसद में पेश होने की तैयारी
विधेयक की प्रति लोकसभा सांसदों के बीच बांटी जा चुकी है और इसे संसद में पेश किए जाने की तैयारी है। यदि यह बिल पास होता है, तो यह ग्रामीण रोजगार और आजीविका सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नीतिगत बदलाव माना जाएगा। इसके साथ ही करीब दो दशक पुराने मनरेगा कानून को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया जाएगा।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: कांग्रेस ने उठाए सवाल मनरेगा की जगह नया कानून लाने को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है।

प्रियंका गांधी ने कहा, “वे महात्मा गांधी का नाम क्यों हटा रहे हैं? महात्मा गांधी इस देश, दुनिया और इतिहास के सबसे महान नेताओं में से एक थे। मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है।”

मनरेगा स्कीम क्या है?
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA) एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के अधिकार की गारंटी देना है। इसे शुरुआत में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (NREGA), 2005 के नाम से लागू किया गया था। इस कानून को 2005 में तत्कालीन यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) सरकार ने लागू किया था। बाद में 2 अक्टूबर 2009 को इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी के नाम पर MGNREGA कर दिया गया।

दुनिया का सबसे बड़ा वर्क गारंटी प्रोग्राम
मनरेगा भारत सरकार का एक प्रमुख फ्लैगशिप प्रोग्राम है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को मजबूत करना है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर उस परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीशुदा रोज़गार दिया जाता है, जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए तैयार हों।

MNREGA को दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम्स में से एक माना जाता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना के तहत 2022-23 तक करीब 15.4 करोड़ सक्रिय श्रमिक पंजीकृत थे। योजना का उद्देश्य अधिकार आधारित ढांचे के ज़रिए पुरानी गरीबी की वजहों को दूर करना है। इसके तहत लाभार्थियों में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होना अनिवार्य है।

मनरेगा की सबसे बड़ी खासियत
MNREGA की सबसे अहम विशेषता यह है कि यह किसी भी ग्रामीण वयस्क को काम मांगने के 15 दिनों के भीतर काम देने की कानूनी गारंटी देता है। यदि तय समय में काम नहीं दिया जाता, तो लाभार्थी को बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत कामों की योजना और क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को अहम भूमिका दी गई है, जिससे विकेंद्रीकरण को बढ़ावा मिले। एक्ट ग्राम सभाओं को कामों की सिफारिश करने का अधिकार देता है और कम से कम 50 प्रतिशत कार्यों का निष्पादन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाना अनिवार्य है।

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