Baba Neem Karoli: नीम करोली बाबा का ऐसा चमत्कार जिसने दुनिया को सोचने पर कर दिया था मजबूर, जिन्होंने भी सुना वो ही...

Edited By Updated: 04 Nov, 2025 12:48 PM

when the train wouldn t move an inch without neem karoli baba

भारत के महान दिव्य संतों में गिने जाने वाले नीम करोली बाबा जिन्हें उनके भक्त प्रेम से महाराज जी कहते हैं उनका जीवन चमत्कारों और करुणा से भरा रहा है। भक्तों का मानना है कि वे स्वयं हनुमान जी के अवतार थे। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव...

नेशनल डेस्क। भारत के महान दिव्य संतों में गिने जाने वाले नीम करोली बाबा जिन्हें उनके भक्त प्रेम से महाराज जी कहते हैं उनका जीवन चमत्कारों और करुणा से भरा रहा है। भक्तों का मानना है कि वे स्वयं हनुमान जी के अवतार थे। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में लगभग सन 1900 में जन्मे बाबा की शिक्षाएं अमर हैं जिसका मूल संदेश है: 'सबको प्रेम करो, सबकी सेवा करो और भगवान का नाम लो।'

बाबा के जीवन से जुड़ी अनेक अद्भुत कहानियां हैं जैसे भंडारे में पानी को घी बना देना या खारे पानी के कुएं को मीठे जल में बदलना लेकिन उनके जीवन की एक घटना ऐसी है जिसे लोग आज भी सुनकर भौंचक रह जाते हैं और वह है ट्रेन का रुक जाना।

 

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जब बाबा को ट्रेन से उतार दिया गया 

एक बार युवा साधु लक्ष्मण दास जो बाद में नीम करोली बाबा के नाम से जाने गए बिना टिकट के फर्स्ट क्लास के डिब्बे में ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। टीटीई ने उन्हें देखा और बिना टिकट यात्रा करने के कारण उन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया। बाबा चुपचाप ट्रेन से उतर गए और पास के नीब करौरी नामक स्थान पर एक पेड़ के नीचे बैठ गए।

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लाख कोशिशों के बाद भी नहीं चली ट्रेन

बाबा को उतारने के बाद जब गार्ड ने सीटी बजाई और ड्राइवर ने ट्रेन चलाने की कोशिश की तो लाख कोशिशों के बाद भी ट्रेन एक इंच भी नहीं हिली। रेलवे के इंजीनियरों और अधिकारियों ने तकनीकी खराबी की तलाश में पूरे इंजन का निरीक्षण किया लेकिन उन्हें कोई यांत्रिक समस्या नहीं मिली। ट्रेन को चलाने के सभी प्रयास विफल रहे।

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माफी और शर्तें: वापस बैठने पर चली ट्रेन

वहां मौजूद एक मजिस्ट्रेट जो बाबा को पहचानते थे उन्होंने अधिकारियों को सुझाव दिया कि यह सब उस साधु की शक्ति के कारण हो रहा है और यदि उन्हें वापस ट्रेन में बैठाया जाए तो शायद ट्रेन चल पड़े। कई घंटों की मशक्कत के बाद रेलवे अधिकारी बाबा के पास पहुंचे उनसे माफी मांगी और उन्हें सम्मानपूर्वक ट्रेन में वापस बैठने का अनुरोध किया।

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बाबा की दो शर्तें: बाबा मुस्कुराए और उन्होंने ट्रेन में बैठने के लिए दो शर्तें रखीं:

: नीब करौरी गांव में एक रेलवे स्टेशन बनाया जाए ताकि स्थानीय लोगों को सुविधा हो।

: भविष्य में किसी भी साधु-संत के साथ अपमानजनक व्यवहार न किया जाए।

अधिकारियों ने तुरंत बाबा की शर्तें मान लीं। जैसे ही बाबा वापस ट्रेन में चढ़े ट्रेन तुरंत चल पड़ी। इसी चमत्कारिक घटना के बाद लोग उन्हें उनके पैतृक गांव के पास स्थित इस जगह के नाम पर "नीम करोली बाबा" के रूप में जानने लगे।

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