क्यों लड़कियों को रंगों की पहचान में होती है लड़कों से अधिक समझ? वैज्ञानिक कारण से जानें

Edited By Updated: 12 Feb, 2025 12:02 PM

why do girls have a better understanding of colours than boys

महिलाएं रंगों की पहचान में पुरुषों से तेज़ होती हैं, और इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। शोध के अनुसार, महिलाएं रंगों के शेड्स को भी पहचानने में सक्षम होती हैं, जबकि पुरुष केवल मुख्य रंगों को पहचानते हैं। इसका कारण हार्मोनल अंतर है, जो उनके दिमाग की...

नेशनल डेस्क: हमारे आस-पास जो रंग हैं, वे न केवल हमारी दुनिया को खूबसूरत बनाते हैं, बल्कि हमारी सोच और समझ को भी प्रभावित करते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि महिलाएं रंगों के बारे में पुरुषों से ज्यादा जानकार और संवेदनशील होती हैं। उदाहरण के तौर पर, महिलाएं न केवल मुख्य रंगों, जैसे पिंक, ग्रीन, और रेड, को पहचानती हैं, बल्कि इन रंगों के ढेर सारे शेड्स को भी समझती हैं, जैसे पिंक में फूशिया पिंक, हॉट पिंक, या ग्रीन में सी ग्रीन, टरकॉइज़ और डार्क ग्रीन आदि। वहीं, पुरुषों के लिए ये रंग सिर्फ सामान्य होते हैं, और वे अक्सर इन रंगों के शेड्स को पहचान नहीं पाते।

यह अंतर केवल आदत या रुचियों का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं और पुरुषों के मस्तिष्क में रंगों की पहचान करने के तरीके में हार्मोनल अंतर होते हैं। इस अध्ययन में यह पाया गया कि महिलाएं किसी भी रंग के शेड्स को पहचानने में ज्यादा सक्षम होती हैं, और यह उनके दिमाग में हार्मोनल बदलावों के कारण है।

कैसे काम करता है हार्मोनल अंतर?
जब मानव विकास के प्रारंभिक दौर में लड़के और लड़कियां विकास कर रहे थे, तब पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर ज्यादा था। यह हार्मोन पुरुषों के दिमाग के विज़ुअल कॉर्टेक्स पर असर डालता है, जो दृश्य जानकारी को प्रोसेस करता है। इस प्रभाव के कारण पुरुषों का रंगों के प्रति दृष्टिकोण सामान्य और व्यापक होता है, यानी वे एक ही रंग को पहचानने में सक्षम होते हैं, लेकिन उसके शेड्स को पहचानना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। वहीं, महिलाओं के मस्तिष्क में इस हार्मोन का असर थोड़ा अलग तरीके से होता है। महिलाओं का दिमाग रंगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है, और वे रंगों के शेड्स को भी पहचानने में माहिर होती हैं। इसका मतलब यह है कि महिलाएं रंगों के विभिन्न टोन और शेड्स को पहचानकर, उन्हें नाम से पहचान सकती हैं, जैसे पिंक के कई शेड्स जैसे कि हॉट पिंक, फूशिया पिंक, या लाल रंगों में चेरी रेड, गार्नेट रेड, ब्लड रेड, आदि। 

महिलाओं के पास रंगों की पहचान के लिए एक अधिक विकसित प्रणाली
यह अध्ययन, जो कि रंगों की पहचान से जुड़े हार्मोनल और मानसिक अंतर पर आधारित था, यह साबित करता है कि महिलाओं के पास रंगों की पहचान के लिए एक अधिक विकसित प्रणाली है। हार्मोनल बदलाव, विशेष रूप से गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान, महिलाओं के दिमाग को रंगों की पहचान में और भी सक्षम बनाते हैं। इसलिए महिलाएं रंगों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और उनके मन में रंगों की अलग-अलग छायाएँ और शेड्स अधिक स्पष्ट रूप से उभरकर आती हैं।

आखिरकार क्यों यह फर्क आता है?
यह फर्क विकासात्मक और हार्मोनल कारणों से उत्पन्न हुआ है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों से भी प्रभावित है। लड़कियों को अक्सर छोटे उम्र से ही रंगों के बारे में अधिक जानकारी दी जाती है, जैसे कि पिंक, पर्पल, और गुलाबी रंगों को पहचाना और स्वीकार किया जाता है। वहीं, लड़कों को कम शेड्स के रंगों के बारे में बताया जाता है, जो उनकी रंग पहचान की क्षमता को सीमित करता है। कुल मिलाकर, यह फर्क रंगों की पहचान में केवल जैविक नहीं, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी उत्पन्न होता है। इसलिए महिलाएं न केवल मुख्य रंगों को पहचानती हैं, बल्कि उनके शेड्स को भी समझती हैं, जो पुरुषों के लिए अक्सर कठिन हो सकता है।
 

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