Edited By Mehak,Updated: 09 Dec, 2025 05:24 PM

कई महिलाएं मानती हैं कि ब्रा पहनने का तरीका, टाइटनेस या रंग ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन यह सिर्फ मिथक है। रिसर्च और एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ब्रा का साइज़, फिटिंग, कितने घंटे पहनी जाती है या रंग, किसी भी तरह से ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा नहीं...
नेशनल डेस्क : सोशल मीडिया पर अक्सर यह दावा किया जाता है कि ब्रा पहनने का तरीका, टाइटनेस या रंग ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है। इससे कई महिलाएं परेशान हो जाती हैं। लेकिन वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ये सभी दावे मिथक हैं और ब्रा पहनने से या ब्रा के रंग से ब्रेस्ट कैंसर का कोई संबंध नहीं है।
रिसर्च क्या कहती है?
Breast Cancer Organization और अन्य एक्सपर्ट्स के अनुसार, ब्रा और ब्रेस्ट कैंसर के बीच कोई वैज्ञानिक कड़ी नहीं है। 2014 में हुई एक बड़े अध्ययन में 55 से 74 साल की 1,513 महिलाओं की ब्रा पहनने की आदतों की जांच की गई। इसमें पाया गया कि ब्रा का साइज़, कितने घंटे पहनी जाती है, कितनी फिट है या कब से पहनी जा रही है, इनका ब्रेस्ट कैंसर से कोई संबंध नहीं है।
पुरानी स्टडी क्यों भ्रामक थी?
1991 की एक स्टडी में दावा किया गया कि ब्रा न पहनने वाली महिलाओं में कैंसर कम होता है। लेकिन यह डेटा कमजोर था। असल में फर्क ब्रा के कारण नहीं, बल्कि वजन और ब्रेस्ट साइज के कारण हो सकता है। बड़ी ब्रेस्ट वाली महिलाएं अक्सर सपोर्ट के लिए ब्रा पहनती हैं, जबकि ज्यादा वजन ब्रेस्ट कैंसर का बड़ा जोखिम होता है।
मिथ कैसे फैला?
1995 में आई किताब Dressed to Kill में कहा गया कि ब्रा लिंफैटिक सिस्टम को ब्लॉक कर देती है, जिससे टॉक्सिन बाहर नहीं निकलते और कैंसर हो सकता है। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लिंफैटिक सिस्टम शरीर की गहराई में होता है और ब्रा उस स्तर तक दबाव नहीं डाल सकती।
ब्राज़ियर की टाइटनेस और रंग पर भ्रम
टाइट ब्रा सिर्फ असहजता या दर्द पैदा कर सकती है, लेकिन कैंसर नहीं। ब्रा का रंग चाहे काला हो, लाल हो या कोई डार्क शेड, कैंसर से कोई संबंध नहीं रखता। फैब्रिक का रंग त्वचा के अंदर प्रवेश नहीं करता।