समाज में थोड़ी बहुत असहिष्णुता है: वेंकैया नायडू

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2015 09:30 AM

m venkaiah naidu rajya sabha

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा में सोमवार को स्वीकार किया कि समाज में थोड़ी बहुत असहिष्णुता है, जिसे उसी स्थान तक सीमित करने और उससे कड़ाई से निपटने की जरूरत है।

नई दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा में सोमवार को स्वीकार किया कि समाज में थोड़ी बहुत असहिष्णुता है, जिसे उसी स्थान तक सीमित करने और उससे कड़ाई से निपटने की जरूरत है। मंत्री ने हालांकि कहा कि निपटने के बजाय इस मुद्दे को हवा दिया जा रहा है और भारत की किरकिरी कराई जा रही है।


भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती को लेकर ‘संविधान के प्रति प्रतिबद्धता’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न इलाकों में समाज में थोड़ी बहुत असहिष्णुता है, जिसकी पहचान करनी है, उसे उसी जगह तक सीमित रखना है और उसके साथ कड़ाई से पेश आना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा करने के बदले हम उसे और तूल देने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे भारत की किरकिरी हो रही है और यह राष्ट्रहित में ठीक नहीं।’’ नायडू ने कहा, ‘‘सदन में जब असहिष्णुता पर चर्चा होगी अन्य वरिष्ठ सदस्य इसे ध्यान में रखेंगे। मैं केवल उनसे अपील कर रहा हूं। चलिए, हम एक दूसरे के साथ सहिष्णु हों और तभी हम लोगों के जनादेश के साथ सहिष्णु होंगे।’’


उन्होंने कहा, ‘‘मेरे अनुसार, सबसे बड़ी सहिष्णुता संविधान का आदर लोगों के जनादेश का आदर है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘इसका एक महत्वपूर्ण पहलू लोगों के जनादेश का आदर करना है। अन्य लोगों की आस्था का आदर करना है।’’ नायडू ने कहा कि विभिन्न सरकारों में असहिष्णुता की घटनाएं घटती रही हैं और यह ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही ऐसी घटनाएं हुई हैं।


उन्होंने कहा, ‘‘ये सारी चीजें नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रातोंरात नहीं हुईं। देश के विभिन्न हिस्सों में ये चीजें होती रही हैं। मैं किसी किसी चीज को उचित साबित करने का प्रयास नहीं कर रहा। दलितों पर अत्याचार क्या इससे पहले नहीं हुआ है?’’ पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम द्वारा सलमान रुश्दी के उपन्यास ‘सैटनिक वर्सेज’ पर पाबंदी को एक गलती बताने वाली टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए नायडू ने कहा कि पुस्तकों पर पाबंदी व अहसासों पर पाबंदी के लिए एक समान नीति होनी चाहिए। 


नायडू ने कहा कि यह वक्त सभी लोगों के सोचने का है कि संविधान के जनक की उम्मीदों पर हम कितने खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह सभी की जिम्मेदारी है कि वे क्षेत्रीय असंतुलन, धर्म, जाति व पंथ तथा संसद में महिला आरक्षण से संबंधित जनता के मुद्दों का समाधान करें।’’ मंत्री ने कहा कि अम्बेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि देश के विकास के लिए उनके दृष्टिकोण का पालन करना होगा।

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