Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 May, 2025 01:58 PM

पड़ोसी देश अफगानिस्तान की नई बांध योजना ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच का दावा है कि तालिबान सरकार अब कुनार नदी पर नए बांध बनाने की तैयारी में है जिससे पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी की आपूर्ति को कम किया जा सके।
नेशनल डेस्क: पड़ोसी देश अफगानिस्तान की नई बांध योजना ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच का दावा है कि तालिबान सरकार अब कुनार नदी पर नए बांध बनाने की तैयारी में है जिससे पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी की आपूर्ति को कम किया जा सके। गौर करने वाली बात ये है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जल-बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक संधि नहीं है। ऐसे में अफगानिस्तान की यह एकतरफा पहल पाकिस्तान की डाउनस्ट्रीम खेती और सिंचाई व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकती है, यहां तक कि पाक के कुछ इलाकों के लोग पानी के लिए भी तरस सकते हैं।
बलूच कार्यकर्ता ने जताई चेतावनी
बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा कि यह ना-पाकिस्तान के अंत की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान के हिस्से में आने वाले पानी को रोकने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। मीर यार बलूच के अनुसार, तालिबान के जनरल मुबीन ने हाल ही में कुनार क्षेत्र का दौरा किया और वहां प्रस्तावित बांध स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने काबुल सरकार से अपील की कि इन परियोजनाओं के लिए धन जुटाया जाए और निर्माण कार्य जल्द शुरू हो।
बलूच कार्यकर्ता ने दावा किया कि जनरल मुबीन ने कहा, "यह पानी हमारा खून है और हम अपने खून को यूं ही बहने नहीं दे सकते।" उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान सरकार को अपने बिजली उत्पादन और कृषि विकास के लिए पानी का उपयोग खुद करना चाहिए। कुनार नदी हिंदू कुश पहाड़ों से निकलती है और आगे चलकर काबुल नदी में मिल जाती है जो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में बहती है।
भारत की भूमिका और रणनीति में बदलाव
दिलचस्प बात यह है कि यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब भारत की विदेश नीति में अफगानिस्तान को लेकर अहम बदलाव हुआ है। 15 मई को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान द्वारा नियुक्त अफगान विदेश मंत्री के साथ फोन पर बातचीत की। यह बातचीत 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार हुई।
भारत की अफगानिस्तान में बांध परियोजनाएं
भारत पहले से ही अफगानिस्तान में जल परियोजनाओं में निवेश कर चुका है। काबुल नदी पर निर्माणाधीन शहतूत बांध एक बड़ी परियोजना है जिसे भारत द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है। इसकी लागत करीब 2,000 करोड़ रुपये है और यह लगभग 4,000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करेगा साथ ही दो मिलियन लोगों को पीने का पानी मुहैया कराएगा। इससे पहले भारत ने साल 2016 में सलमा बांध का निर्माण किया था।
पाकिस्तान पर पानी का दबाव पहले से
भारत की किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाएं, जो सिंधु जल संधि के तहत आती हैं, पहले ही पाकिस्तान को कुछ मौकों पर जल संकट की स्थिति में डाल चुकी हैं। अब अफगानिस्तान के संभावित कदम से पाकिस्तान पर दो तरफा दबाव बढ़ सकता है एक ओर भारत और दूसरी ओर अफगानिस्तान से पानी की कटौती का खतरा मंडरा रहा है।