6 इंच छोटा बनाया मकान, देरी पर ब्याज भी वसूला, रेरा ने दी राहत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jan, 2019 03:25 PM

6 inch small house interest on delay also recovered rira gave relief

छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथारिटी (छग रेरा) ने तीन अलग-अलग प्रकरणों में हाउसिंग बोर्ड को ब्याज के साथ रुपए लौटाने के आदेश जारी किए हैं। तीनों मामले में ग्राहकों को समय पर मकान नहीं मिला

रायपुरः छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथारिटी (छग रेरा) ने तीन अलग-अलग प्रकरणों में हाउसिंग बोर्ड को ब्याज के साथ रुपए लौटाने के आदेश जारी किए हैं। तीनों मामले में ग्राहकों को समय पर मकान नहीं मिला, वहीं 2 से 3 साल तक ग्राहकों से लेटलतीफी पर ब्याज भी वसूला गया। 

हाउसिंग बोर्ड ने जैसा कहा था वैसा मकान बनाया गया, बल्कि एक मामले में मकान की ऊंचाई 6 इंच छोटी भी कर दी। वादे और दावों के मुताबिक मकानों का निर्माण नहीं होने की वजह से अब रेरा ने हाउसिंग बोर्ड को कड़ी फटकार लगाते हुए ग्राहकों को पूरे पैसे लौटाने के निर्देश दिए हैं, वहीं सुपरविजन में लापरवाही पर रेरा ने दुर्ग के कार्यपालन अभियंता पर सख्त कार्यवाही के लिए हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित किया है। रेरा ने कहा कि मकानों के निर्माण के समय सुपरविजन में लापरवाही की गई। हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ महाराष्ट्र के जलगांव निवासी अरविंद कुमार ने प्रकरण दाखिल किया था, जिसमें आवेदक को राहत दी गई है।

राजधानी के शांति नगर निवासी विकास मुखर्जी ने हाउसिंग बोर्ड से नरदहा स्थित एचआइजी मकान 17.85 लाख रुपए में बुक किया था। तीन साल के भीतर मकान देने का अनुबंध करने के बाद भी मकान नहीं मिला। वहीं, 21 अगस्त 2018 को मकान की कीमत में 40 फीसदी की वृद्धि कर दी। समय पर मकान नहीं देने के बजाय हाउसिंग बोर्ड ने ग्राहक से ब्याज भी वसूला। ब्याज के साथ कुल राशि 20 लाख 65 हजार 907 रुपए भुगतान किया जा चुका है। हाउसिंग बोर्ड की दलीलों के बाद रेरा ने कहा कि अनुबंध के मुताबिक मकान का कब्जा सही समय पर नहीं दिया गया। 3 लाख 53 हजार 238 रुपए ब्याज की राशि ली गई, लिहाजा आवेदक को सभी राशि दो माह के भीतर अविलंब भुगतान किया जाए।

महाराष्ट्र के जलगांव निवासी अरविंद कुमार के प्रकरण के मुताबिक उन्होंने कुम्हारी (परसदा) स्थित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में 30 अप्रैल 2013 को एचआइजी मकान हाउसिंग बोर्ड से लिया था। आवंटन आदेश के 3 साल के भीतर मकान का आधिपत्य सौंपना था, लेकिन अब तक आधिपत्य नहीं सौंपा गया, जबकि 22 लाख 88 हजार 700 रुपए हाउसिंग बोर्ड को सौंपा दिया गया। आवेदक ने इसके खिलाफ अब तक कुल राशि का ब्याज सहित भुगतान करने की मांग की। अधिकारियों पर यह भी आरोप लगे कि मकान की वर्तमान ऊंचाई निर्धारित ऊंचाई से 6 इंच कम है। सुपरविजन में भी लापरवाही बरती गई। रेरा ने दोनों पक्षों के बयानों के बाद हाउसिंग बोर्ड को निर्देशित किया कि वह दो माह के भीतर अतिरिक्त ब्याज की राशि 4 लाख 57 हजार 740 रुपए व 1 लाख 27 हजार 676 रुपए का भुगतान दो महीने के भीतर करें।

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