Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Jan, 2022 11:01 PM

नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) मध्य एशियाई नेताओं ने बृहस्पतिवार को उनके देशों में भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा अपने परिसर स्थापित करने के लिए दिखायी गयी दिलचस्पी स्वीकार की और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) मध्य एशियाई नेताओं ने बृहस्पतिवार को उनके देशों में भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा अपने परिसर स्थापित करने के लिए दिखायी गयी दिलचस्पी स्वीकार की और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी में पहली भारत -मध्य एशिया सम्मेलन में इन नेताओं ने यह बात स्वीकार की। यह सम्मेलन डिजिटल तरीके से हुआ।
सम्मेलन में कजाखस्तान के राष्ट्रपति कास्सयम -जोमार्ट तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकाट मिर्जियोयेव, तजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली राहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुर्बांगुली बर्डिमुहामेदोव और किर्गिज रिपब्लिक के राष्ट्रपति साद्र जापारोव शामिल हुए।
सम्मेलन के बाद जारी किये गये दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘ नेताओं ने भारत एवं मध्य एशियाई देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच प्रत्यक्ष संबंध विकसित करने की जरूरत समेत शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग गहरा करने पर जोर दिया। मध्य एशियाई नेताओं ने उनके देशों में भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा अपने परिसर स्थापित करने के लिए दिखायी गयी दिलचस्पी स्वीकार की। इस संबंध में उज्बेकिस्तान में शारदा, अमेटी एवं सभ्रम विश्वविद्यालय द्वारा परिसरों की स्थापना का उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा विशेष उल्लेख किया। ’’
उसमें कहा गया है, ‘‘ भारत के प्रधानमंत्री ने मध्य एशियाई नेताओं के प्रति अपने अपने देशों में भारतीय विद्यार्थियों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आभार प्रकट किया। मध्य एशियाई नेताओं ने परस्पर व्यापक समझ को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष मध्य एशियाई देशों के 100 सदस्यीय युवा प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करने के भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया।’’
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