मंगल से आया 24.5 किलो का उल्कापिंड होगा नीलाम, कीमत सुनकर चौंक जाएंगे आप

Edited By Updated: 10 Jul, 2025 10:58 AM

24 5 kg meteorite from mars will be auctioned

धरती पर ऐसा पहली बार नहीं है जब अंतरिक्ष से कोई उल्कापिंड गिरा हो लेकिन इस बार जो पत्थर नीलामी के लिए तैयार है वह खास है। यह उल्कापिंड सीधे मंगल ग्रह से आया है और इसे NWA 16788 नाम दिया गया है।

नेशनल डेस्क: धरती पर ऐसा पहली बार नहीं है जब अंतरिक्ष से कोई उल्कापिंड गिरा हो लेकिन इस बार जो पत्थर नीलामी के लिए तैयार है वह खास है। यह उल्कापिंड सीधे मंगल ग्रह से आया है और इसे NWA 16788 नाम दिया गया है। इसका वजन 24.5 किलो है और यह अब तक धरती पर मिला सबसे भारी मंगल ग्रह का टुकड़ा है। यह दुर्लभ उल्कापिंड साल 2023 के नवंबर महीने में अफ्रीकी देश नाइजर के सहारा रेगिस्तान में मिला था। एक स्थानीय शिकारी ने इसे खोजा था। तब शायद उसे अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि वह धरती पर मिला सबसे बड़ा मंगल ग्रह का टुकड़ा ढूंढ चुका है।

कितनी है कीमत और कब होगी नीलामी?

इस उल्कापिंड की कीमत 15 करोड़ से 34 करोड़ रुपये यानी 2 से 4 मिलियन डॉलर के बीच आंकी गई है। यह 16 जुलाई 2025 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित मशहूर नीलामी कंपनी Sotheby’s (सोथबीज) द्वारा नीलाम किया जाएगा। खास बात यह है कि इस नीलामी में भुगतान सिर्फ नकद या बैंक ट्रांसफर से नहीं बल्कि Bitcoin, Ethereum और USDC जैसी क्रिप्टोकरेंसी में भी किया जा सकता है।

NWA 16788 क्यों है इतना दुर्लभ?

धरती पर अब तक 77,000 से अधिक उल्कापिंड खोजे जा चुके हैं लेकिन इनमें से केवल 400 ही उल्कापिंड मंगल ग्रह से आए हुए हैं। ऐसे में NWA 16788 की खासियत यह है कि यह अकेला पत्थर ही इन 400 मंगल उल्कापिंडों का 6.5% हिस्सा है। इससे पहले जो सबसे बड़ा मंगल उल्कापिंड मिला था उसका नाम Taoudenni 002 था और उसका वजन 14.51 किलो था। ऐसे में नया उल्कापिंड उससे लगभग 70% ज्यादा भारी है।

अंतरिक्ष से धरती तक का सफर

वैज्ञानिकों का मानना है कि लाखों साल पहले मंगल ग्रह पर एक बड़ा एस्टेरॉयड (asteroid) टकराया था जिससे कुछ चट्टानें अंतरिक्ष में उछल गईं। इन्हीं में से एक था NWA 16788 जो करोड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर धरती पर आ गिरा। इसके धरती पर गिरने की सटीक तारीख तो नहीं पता लेकिन इसकी सतह को देखकर कहा जा सकता है कि यह हाल ही में गिरा है क्योंकि इसकी ऊपरी परत ज्यादा खराब नहीं हुई है।

वैज्ञानिकों की जांच और पुष्टि

इस उल्कापिंड का एक छोटा टुकड़ा एस्ट्रोनॉमी म्यूजियम में जांच के लिए भेजा गया था। महीनों की कड़ी जांच और प्रयोगशाला परीक्षणों के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि यह पत्थर वाकई में मंगल ग्रह से आया है। इसके बाद जून 2024 में इसे आधिकारिक रूप से मेटियोराइटिकल सोसायटी द्वारा मान्यता दे दी गई।

कैसा दिखता है NWA 16788?

इस उल्कापिंड का रंग लाल और भूरा है, बिल्कुल मंगल की मिट्टी जैसा। जब यह उल्कापिंड अंतरिक्ष से धरती की ओर आया तो वायुमंडल में घुसते समय इसकी सतह पर कांच जैसी परतें बन गईं। इसका लगभग 21.2% हिस्सा मास्केलिनाइट (maskelynite) नामक कांच, पारोक्सीन और ओलिवाइन जैसे खनिजों से बना है। यह बनावट इसे ना सिर्फ दुर्लभ बनाती है बल्कि वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का एक अनमोल खजाना भी है।

अब तक की बोली कहां पहुंची?

नीलामी से पहले ही 7 जुलाई 2025 तक इसकी बोली 1.6 मिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी थी। संभावना है कि नीलामी के दिन इसकी कीमत और भी बढ़ सकती है। दुनिया भर के संग्रहालय, अंतरिक्ष प्रेमी और अमीर कलेक्टर इस उल्कापिंड को खरीदने की दौड़ में शामिल हैं।

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