अचानक दुनिया को अलविदा कह गए म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति मिंट स्वे, 74 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 10:01 AM

myanmar president mint swe dies in hospital

म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति मिंट स्वे का आज गुरुवार 7 अगस्त को अचानक निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने देश के सैन्य अस्पताल नंबर-2 में अंतिम सांस ली। उनके निधन की आधिकारिक जानकारी नेशनल डिफेंस एंड...

नेशनल डेस्क: म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति मिंट स्वे का आज गुरुवार 7 अगस्त को अचानक निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने देश के सैन्य अस्पताल नंबर-2 में अंतिम सांस ली। उनके निधन की आधिकारिक जानकारी नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी काउंसिल द्वारा दी गई है। मिंट स्वे म्यांमार के एक अनुभवी सैन्य अधिकारी और नेता थे। उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की और हाल के वर्षों में उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्हें सत्तारूढ़ सैन्य सरकार का एक भरोसेमंद चेहरा माना जाता था।

स्वास्थ्य को लेकर पहले से थे चिंतित

मिंट स्वे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। हालाँकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर सरकार की ओर से अधिक जानकारी साझा नहीं की गई थी लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने आज तड़के अस्पताल में अंतिम सांस ली।

म्यांमार में शोक की लहर

उनके निधन की खबर सामने आते ही म्यांमार में शोक की लहर फैल गई है। देश के रक्षा और सुरक्षा महकमे समेत सरकार के अन्य विभागों ने इस दुखद समाचार पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार चैनलों पर भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी काउंसिल की पुष्टि

मिंट स्वे के निधन की पुष्टि नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी काउंसिल द्वारा की गई। यह काउंसिल देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों की निगरानी करती है और शीर्ष नेताओं की नियुक्तियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मिंट स्वे की भूमिका और योगदान

मिंट स्वे को म्यांमार की राजनीति में सैन्य प्रतिनिधित्व का चेहरा माना जाता था। वह कई अहम प्रशासनिक निर्णयों और देश की नीतियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उनका योगदान विशेष रूप से सुरक्षा और आंतरिक मामलों में देखा गया। म्यांमार पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में कार्यवाहक राष्ट्रपति का इस तरह जाना देश की सत्ता और प्रशासन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

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