वास्तुनुकूल ओपन टू स्काय पंहुचाता है परिवार को लाभ

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2015 02:47 PM

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जब किसी प्लाट पर 3-4 मंजिल तक का भवन बनाया जाता है। वहां सामान्यतः देखने में आता है कि भवन बनाते समय भवन की 1 या 1 से अधिक दिशाओं में आस-पास बने भवनों की दीवार से चिपकाकर निर्माण किया जाता है। ऐसी स्थिति में उन दिशाओं में खिड़कियां ना लग

जब किसी प्लाट पर 3-4 मंजिल तक का भवन बनाया जाता है। वहां सामान्यतः देखने में आता है कि भवन बनाते समय भवन की 1 या 1 से अधिक दिशाओं में आस-पास बने भवनों की दीवार से चिपकाकर निर्माण किया जाता है। ऐसी स्थिति में उन दिशाओं में खिड़कियां ना लग पाने के कारण भवन के उस भाग में अंधेरा रहता है। इस अंधेरे को दूर करने के लिए उन दिशाओं में छत पर थोड़ी जगह खुली छोड़ दी जाती है अर्थात् उस भाग में छत नहीं होती है इसे ही ओपन टू स्काय कहते हैं ताकि इस खुले भाग से भवन के अंदर रोशनी और हवा आ सके।

इस खुली छत में कुछ लोग सुरक्षा के लिए लोहे की जाली लगाते हैं और कुछ लोग नहीं भी लगाते हैं। भवन की इस बनावट से ग्राऊण्ड फ्लोर पर रहने वाले यह भाग एक आंगन बन जाता है। खुली छत होने के कारण बरसात का पानी ग्राऊण्ड फ्लोर के इस आंगन में गिरता है तो वह पानी कमरों में न चला जाए इसके लिए आंगन को सामान्यतः 4-6 इंच नीचा रखा जाता है। यदि आंगन की यह नीचाई दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में होती है तो यह एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष होता है।

अतः भवन बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि यदि दक्षिण और पश्चिम दिशा में इस तरह का आंगन बन रहा हो तो उसके फर्श का लेवल घर के शेष फर्श के लेवल के बराबर रखा जाए। आंगन से बरसात का पानी कमरों में ना जाए इसके लिए कमरे के दरवाजों पर 2 इंच ऊंची पत्थर की पट्टी (देहरी) लगा सकते हैं। यदि यह आंगन उत्तर और पूर्व दिशा में हो और नीचा हो तो यह 4-6 इंच नीचा आंगन  वास्तुनुकूल होकर वहां रहने वाले परिवार के लिए लाभदायक होता है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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