Edited By ,Updated: 31 Mar, 2016 11:08 AM
क्या हमने कभी यह जानना चाहा है की उपलब्धि अर्जित करने के उपरांत भी हम अपने जीवन से दुखी और खिन्न क्यों रहते हैं। हमारे इर्दगिर्द फैले हुए वास्तुदोषों की वजह से हमारे जीवन में ऋणात्मक उर्जा का संचय होता है।
क्या हमने कभी यह जानना चाहा है की उपलब्धि अर्जित करने के उपरांत भी हम अपने जीवन से दुखी और खिन्न क्यों रहते हैं। हमारे इर्दगिर्द फैले हुए वास्तुदोषों की वजह से हमारे जीवन में ऋणात्मक उर्जा का संचय होता है। वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन-सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। यह हमारी जीवनशैली के साथ-साथ अमूल्य देह को भी नष्ट करता है।
वास्तुशास्त्र के बारे में सूत जी कहते हैं की, "जो लोग बुद्धिमान होते हैं वह देवालय, धूर्त, सचिव या चौराहे के पास अपना आशियाना नहीं बनवाते क्योंकि इससे जीवन में पीड़ा, यातना, विलाप, उदासी और डर बना रहता है। घर के चारों तरफ, मुख्य द्वार के सामने और पीछे थोड़ी सी जगह छोड़ देनी चाहिए इससे शुभ प्रभावों का प्रचार एवं प्रसार होता है।"
घर में बुरी शक्तियों व ऊपरी हवाओं से बचाव के लिए करें अनुभुत प्रयोग
* हफ्ते में तीन दिन मंगल, गुरू और शनि को उपले पर थोड़ा सा लोबान रख कर उसके धुएं को सारे घर में घुमाएं|
* गंगा जल में तुलसी का पत्ता डालकर उस जल को घर के चारों तरफ छिड़कें।
* घर से कहीं बाहर जाते समय रात्रि अथवा दिन के ठीक 12 बजे नहीं निकलना चाहिए।
* किसी महत्वपूर्ण काम के लिए घर से निकलने से पहले दही खाएं अथवा मछली का दर्शन करें।