Edited By ,Updated: 07 Feb, 2016 12:50 AM
भाजपा स्वयं को ‘पार्टी विद ए डिफ्रैंस’ कहती है परंतु इसके नेताओं के भी उसी तरह के बयान, कृत्य और स्कैंडल सामने आने लगे हैं जिनके लिए वे कांग्रेस को सदा कोसते रहते हैं।
भाजपा स्वयं को ‘पार्टी विद ए डिफ्रैंस’ कहती है परंतु इसके नेताओं के भी उसी तरह के बयान, कृत्य और स्कैंडल सामने आने लगे हैं जिनके लिए वे कांग्रेस को सदा कोसते रहते हैं।
सबसे पहले 17 सितम्बर, 2014 को अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा में भाजपा सांसद एवं ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने यह अविवेकपूर्ण टिप्पणी करके वृंदावन में रह रही तकदीर की मारी और अपने परिजनों द्वारा परित्यक्त विधवाओं के घावों पर नमक छिड़क दिया कि :
‘‘इनके पास बढिय़ा बैंक बैलेंस होता है, अच्छी आय होती है, बढिय़ा बिस्तर होते हैं पर वे आदतन भीख मांगती हैं और इनकी बड़ी संख्या बंगाल, बिहार से आ रही है। अन्य राज्यों से उन्हें यहां आने की जरूरत नहीं है।’’
हेमा के उक्त संवेदनाहीन बयान को लेकर उसकी कड़ी आलोचना हुई तथा उसकी संवेदनहीनता का दूसरा प्रमाण 3 जुलाई, 2015 को मिला जब राजस्थान के दौसा में उसकी मर्सीडीज व एक आल्टो में टक्कर हो गई। इसमें हेमा और आल्टो में सवार एक बच्ची सहित 5 लोगों को चोटें आईं।
तब हेमा को इलाज के लिए जयपुर ले जा रहे डाक्टर से उसने गाड़ी तेज चलाने को कहा क्योंकि उसे बहुत दर्द हो रहा था परंतु घायल बच्ची को सवाई माधोपुर के अस्पताल में भेजा गया जहां उसका काफी देर बाद इलाज शुरू होने के कारण बच्ची की मृत्यु हो गई।
तब बच्ची के परिजनों ने आरोप लगाया था कि ‘‘जैसा ट्रीटमैंट हेमा मालिनी को दिया गया वैसा ही ट्रीटमैंट हमारी बच्ची को क्यों नहीं मिला?’’
इस घटना के बाद भी हेमा मालिनी को लेकर विवादों का सिलसिला थमा नहीं और इन दिनों वह मुम्बई के उपनगर ओशीवाड़ा में राज्य सरकार द्वारा डांस अकादमी खोलने के लिए 2000 वर्ग मीटर जमीन मात्र 70,000 रुपए में आबंटित करवाने को लेकर विवादों में है। हेमा को 35 रुपए वर्ग मीटर की दर से जो भूखंड दिया गया उसकी कीमत करोड़ों में है।
अभी यह विवाद चल ही रहा था कि हेमा मालिनी उक्त आबंटित भूमि के निकट ही तटवर्ती जंगलों की कटाई करके कोस्टल रैगुलेशन जोन (सी.आर.जैड.) अधिनियम के उल्लंघन के आरोपों के घेरे में आ गई है।
यही नहीं नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद 22 मई, 2014 को मुख्यमंत्री बनाई गई आनंदीबेन पटेल की बेटी ‘अनार जयेश पटेल’ को उसकी कम्पनी के लिए भूमि अलाटमैंट का स्कैंडल सामने आ गया है। यह भूमि गिर बाघ संरक्षण क्षेत्र के पास स्थित है।
राजस्व विभाग ही ऐसी जमीन देने वाली नोडल अथॉरिटी होता है और उन दिनों आनंदीबेन पटेल ही गुजरात की राजस्व मंत्री थीं। अनार को 27 अक्तूबर, 2010 को 250 एकड़ जमीन 60 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर पर अलॉट की गई जबकि इसका बाजार मूल्य उस समय 50 लाख रुपए प्रति एकड़ था।
इसके अलावा राज्य सरकार ने न केवल अनार पटेल को और 172 एकड़ कृषि योग्य भूमि खरीदने की अनुमति दी बल्कि इसे गैर-कृषि योग्य भूमि की तरह इस्तेमाल करने की अनुमति भी प्रदान कर दी।
आनंदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी राजस्व विभाग अपने पास ही रखा है। उनके विरोधियों का कहना है कि,‘‘लाभ के लिए काम कर रही किसी निजी कम्पनी को इतना बड़ा भू-भाग किस नीति के अधीन दिया गया?’’
कांग्रेस ने आनंदीबेन पटेल की बेटी को सरकारी जमीन कौडिय़ों के दाम अवैध रूप से दिए जाने का आरोप लगाते हुए इस मामले की विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) से समयबद्ध आधार पर जांच करवाने की मांग की है।
नरेंद्र मोदी के शासनकाल में गुजरात में परिवारवाद को बढ़ावा मिलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘इस प्रकरण से नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बर्दाश्त नहीं करने के दोहरे मापदंड तथा राजनीतिक पाखंड का खुलासा हुआ है।’’ इसके साथ ही उन्होंने आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे की मांग भी की है।
भाजपा शासन में हो रही इस तरह की घटनाओं को देखते हुए लोगों का कहना है कि देश में कुशासन, भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता का वही हाल है जो कांग्रेस के शासन में था, केवल चेहरे बदले हैं, हालात नहीं। निश्चय ही यह स्थिति भाजपा के नेतृत्व के लिए चिंतनीय है।