विभिन्न अनियमितताओं की शिकार ‘एयर इंडिया’ का पहले वाला गौरव कैसे बहाल हो

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2017 10:37 PM

how is the first pride of air india being restored by various irregularities

85 वर्ष पुरानी ‘एयर इंडिया’ भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा है परंतु केंद्र सरकार द्वारा भारी आर्थिक...

85 वर्ष पुरानी ‘एयर इंडिया’ भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा है परंतु केंद्र सरकार द्वारा भारी आर्थिक मदद देने के बावजूद इसे लगातार पडऩे वाले घाटे, हवाई अड्डो पर ‘लेटलतीफी’ के जुर्माने और रन-वे में खड़े होने के शुल्क आदि के चलते इस पर चढ़ेे हुए कर्जे में लगातार वृद्धि हो रही है। इसी कारण यह आर्थिक दृष्टि से इतनी जर्जर हो चुकी है कि केंद्र सरकार इसे नवजीवन देने के लिए 4 वर्षों में 22,280 करोड़ रुपए की सहायता दे चुकी है। कुप्रबंधन, स्टाफ की मनमानियों व विमानों में तकनीकी खराबी आदि से यात्रियों को होने वाली परेशानी के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

15 जुलाई 2016 को गया से नई दिल्ली जाने वाली उड़ान संख्या ए.आई. 433 के एक लैंडिंग व्हील में तेल लीक करने के कारण उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद विमान को वापस हवाई अड्डो पर आपात स्थिति में उतारना पड़ा। 01 अगस्त को अमरीका में नेवार्क से 300 यात्रियों के साथ मुम्बई आने वाले विमान के सभी टॉयलैटों की फ्लशिंग प्रणाली खराब हो गई। 27 अगस्त को कोच्चि से जेद्दा जाने वाले विमान की उड़ान गंभीर तकनीकी खराबी के कारण रोकनी पड़ी। 02 और 3 अक्तूबर को लगातार 2 दिन पुणे से नई दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की 2 उड़ानें अज्ञात तकनीकी कारणों से रद्द की गईं। 

24 नवम्बर को मैंगलूरू से दमाम जा रहे ‘एयर इंडिया एक्सप्रैस’ विमान में से ङ्क्षचगारियां निकलने पर इसे आपात स्थिति में कोच्चि में उतारा गया। 27 फरवरी 2017 को मुम्बई से कोच्चि जा रहे ‘एयर इंडिया’ के विमान ए-320 क्लासिक के कैबिन में प्रैशर संबंधी समस्या पैदा हो जाने से विमान को मैंगलूरू डायवर्ट करके आपात स्थिति में उतारना पड़ा। 

09 मार्च को अहमदाबाद-लंदन उड़ान का हंगरी के ऊपर उड़ान भरते समय कुछ समय के लिए ए.टी.सी. से संपर्क टूट गया। और अब 11 मार्च को दिल्ली से शिकागो जा रहे बोइंग 777 विमान के यात्रियों को 16 घंटों तक ‘जाम टॉयलैट’ की समस्या से जूझना पड़ा। इसके 4 टॉयलैट तो पहले ही बंद थे जबकि शेष चल रहे 8 टॉयलैटों के भी पाइप जल्दी ही जाम हो जाने से ये भी इस्तेमाल के काबिल नहीं रहे, लिहाजा शिकागो के ओ’हारा हवाई अड्डो पर पहुंचने के बाद ही यात्रियों को ‘राहत’ मिल सकी। 

इस समय जबकि विमानन के क्षेत्र में उतरी प्राइवेट कम्पनियां ‘एयर इंडिया’ को कड़ी चुनौती दे रही हैं, इसके विमानों में तकनीकी खराबियां इसके प्रबंधन में कमियों और चूकों की ओर ही इशारा करती हैं। ‘एयर इंडिया’ ने 2015-16 में 105 करोड़ रुपए का परिचालन मुनाफा दिखाते हुए कहा था कि ‘‘एक दशक से भी अधिक समय में यह कम्पनी का पहला परिचालन लाभ है।’’ 

परंतु ‘कम्प्ट्रोलर एंड ऑडीटर जनरल’ (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में उक्त दावे को झुठलाते हुए कहा है कि ‘‘इसे उक्त वर्ष में परिचालन लाभ की बजाय वास्तव में 321.4 करोड़ रुपए का परिचालन घाटा हुआ है।’’ सार्वजनिक कोष से अन्य योजनाओं के बजट में कटौती करके केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को पुनर्जीवित करने के लिए 2012 में इसके लिए 30,000 करोड़ रुपए का पैकेज देना स्वीकार किया था। 

इसी बेल आऊट पैकेज के सहारे चल रही एयर इंडिया को 2016-17 में केंद्र सरकार ने 1,713 करोड़ रुपए की मदद दी पर इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा और करदाताओं का दिया हुआ धन बेकार जा रहा है। लिहाज़ा समय की मांग है कि एयर इंडिया को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाए, इससे न सिर्फ सरकार पर इसे जीवित रखने की नैतिक जिम्मेदारी नहीं रहेगी, बल्कि बेहतर प्रबंधन द्वारा यह अपनी खोई हुई प्रतिष्ठï भी वापस पा सकेगी। ऐसा करना मोदी सरकार की नीतियों के भी अनुरूप होगा जो निजी उद्योगों पर शुरू से ही बल दे रहे हैं। 

चर्चा है कि प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही एयर इंडिया के उभरने की धूमिल संभावनाओं के बाद पी.एम.ओ. को भेजे प्रस्ताव में इसका 51 प्रतिशत हिस्सा 5 साल के अंतराल में बेचने की सलाह भी दी गई है जो इसे घाटे से उबारने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है।                                                                                                                                                                                                                                                  

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