वशीकरण- किसी को अपने वश में करने का विज्ञान

Edited By ,Updated: 07 Aug, 2015 09:09 AM

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शास्त्र तन्त्रसार में षटकर्म का बड़ा महत्व बताया है। षटकर्म का अर्थ है छै कर्मों का अभिचार। यह छै कर्म हैं - शांतिकर्म, वशीकरण, स्तम्भन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारण। मूलतः ये छै कर्म दश महाविद्या की कार्य प्रणाली का एक हिस्सा हैं तथा इन छै कर्मों को...

शास्त्र तन्त्रसार में षटकर्म का बड़ा महत्व बताया है। षटकर्म का अर्थ है छै कर्मों का अभिचार। यह छै कर्म हैं - शांतिकर्म, वशीकरण, स्तम्भन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारण। मूलतः ये छै कर्म दश महाविद्या की कार्य प्रणाली का एक हिस्सा हैं तथा इन छै कर्मों को तंत्रशस्त्र में अभिचार कर्म कहा जाता है। षटकर्म की क्रियाएं किसी भी विद्या की सिद्धि से की जा सकती है पर सभी में विधि प्रक्रियाएं अलग हैं। इन अभिचार कर्मों की सिद्धियां अलग से भी प्राप्त की जा सकती हैं। षटकर्म अत्यंत खतरनाक क्रियाएं हैं और सभी शास्त्रों में शान्ति कर्म को छोड़कर अन्य सभी को वर्जित किया है कि साधक विवेक से जनहित में या अपनी साधना-सिद्धि की सुरक्षा आदि के लिए उपयोग करें। इन षटकर्मों में से दोसरा कर्मा है वशीकरण अर्थात किसी दूसरे व्यक्ति अथवा वस्तु को अपने वश में करना परंतु वशीकरण करना या किसी व्यक्ति को अपने नियंत्रण में करना बहुत मुश्किल काम है। इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को वशीकरण अभिचार के बारे में बताने जा रहे हैं।

दार्शनिक दृष्टि से हर व्यक्ति यह चाहता है कि सभी लोग उसकी बात सुने, उसके वश में रहें लेकिन ऐसा संभव नहीं होता है। किसी भी व्यक्ति को कैसे वश में किया जाए इसके लिए विश्व के सर्वाधिक मान्य कूटनीतिज्ञय आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं 

"लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा। मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम्॥" 

अर्थात जो व्यक्ति धन का लालची है उसे पैसा देकर, घमंडी या अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख व्यक्ति को उसकी बात मान कर और विद्वान व्यक्ति को सच से वश में किया जा सकता है। लोग सामान्यत: सुंदरता को देखकर ही आकर्षित होते हैं।

"बिन विषहूं के सांप को, चाहिए फने बढ़ाय। होउ नहीं या होउ विष, घटाघोप भयदाय॥" 

अर्थात यदि कोई सांप जहरीला न भी हो तब भी उसे लम्बी-चौड़ी फन फैलाकर फूंफकारना आना चाहिए क्योंकि आडम्बर आवश्यक है। इस दोहे अनुसार यदि कोई व्यक्ति सुंदर न भी हो तब भी उसे स्वयं को सुंदर दर्शाना चाहिए। 

ज्योतिष की दृष्टि से वशीकरण में मुहूर्त का सर्वाधिक महत्व है। मुहूर्त के बिना वशीकरण अभिचार कर्म सफल नहीं होता। शस्त्रनुसार सभी षटकर्मों के देवता, दिशा, वार, पात्र, ऋतु, दिशा, नक्षत्र, मण्डल, वर्ण, आसान, माला, न्यास, विनियोग, यंत्र, स्थान, समय और वस्त्र भी अलग अलग हैं। जैसे वशीकरण हेतु उपयुक्त देवता हैं कृष्ण, कामाख्या, तारा, कामदेव, रति आदि। देवता का चयन कार्य पर निर्भर करता है। जैसे के व्यक्ति किसे अपने वश में करना चाहता है किसी प्रेमी को अथवा किसी अधिकारी को। आमतौर पर वशीकरण में स्त्री-पुरूषों अथवा लड़के-लड़कियों को वश में कर लिया जाता है अर्थात् उनकी बुद्धि बांध दी जाती है जिससे वे वही करते हैं जो उन्हे वश में करने वाला कहता है। वश में किया हुआ व्यक्ति अपना भला-बुरा कुछ भी नहीं समझ पाता हैं। वह व्यक्ति समाज और परिवार की मान-मर्यादा को त्याग कर कई गलत कदम उठा लेता हैं।

वशीकरण हेतु उत्तर दिशा श्रेष्ठ है। वशीकरण प्रयोग हेतु सोमवार व बुधवार को उपयुक्त बताया गया है। वशीकरण में चांदी का पात्र प्रयोग किया जाता है। इसके लिए ग्रीष्म ऋतु का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए जल मंडल श्रेष्ठ माना गया है। मंत्र एवं वर्ण बीज जल ही श्रेष्ठ माने गए हैं। नक्षत्र निर्भर करता है किस प्रकार का वशीकरण है और किस पर यह प्रयोग किया जा रहा है। न्यास व विनियोग प्रयोग में लिए गए देवता पर निर्भर करता है। वशीकरण हेतु ऊनी कंबल आसन श्रेष्ठ है। इसके लिए कमलनाल की माला का प्रयोग होता है। इसके यंत्र लेखन में गोरोचन की स्याही का प्रयोग होता है। इसके लिए श्रेष्ठ स्थान है नदी का किनारा। उपयुक्त समय महाकाल रात्रि 9 से 1:30 बजे श्रेष्ठ है। गुलाबी या लाल वस्त्र वशीकरण हेतु श्रेष्ठ माने गए हैं। इस लेख का उद्देश मात्र पाठकों को शास्त्र अनुसार जानकारी देना है। कोई भी साधना बिना गुरू दीक्षा के पूर्ण नहीं होती। साधना व सिद्धि हेतु गुरु का मार्गदर्शन परम आवश्यक है। 

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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