Edited By ,Updated: 10 Oct, 2016 09:42 AM
दशहरा शक्ति पूजन का दिन है, प्राचीन शास्त्रीय परंपरा के अनुरूप आज तक क्षत्रिय-क्षत्रपों के यहां शक्ति के पूजन के रूप में अस्त्र-शस्त्रों का अर्चन-पूजन होता है।
दशहरा शक्ति पूजन का दिन है, प्राचीन शास्त्रीय परंपरा के अनुरूप आज तक क्षत्रिय-क्षत्रपों के यहां शक्ति के पूजन के रूप में अस्त्र-शस्त्रों का अर्चन-पूजन होता है। सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला दशहरा पर्व है, जो सभी मनोवांछित फल प्रदान करता है।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को 'विजया' कहते हैं, जो सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करती है। अत: इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य निश्चित ही सिद्धि को प्रदान करने वाला है। सांसारिक परेशानियां दूर करने के लिए इस दिन किए गए प्रयोग कभी असफल नहीं होते, न किसी तरह की हानि होती है।
* विजय दशमी पर यात्रा अत्यंत श्रेयस्कर होती है। छोटी ही सही लेकिन इस दिन यात्रा अवश्य करें।
* शमी पेड़ का पूजन कर उसके पत्ते तिजोरी में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती।
* दशहरे के दिन घट स्थापना वाला कलश कुछ समय के लिए सिर पर रखने से भगवती देवी का आशीष प्राप्त होता है।
* वैभव, संपन्नता और सौभाग्य के लिए स्वच्छ कपड़े को पानी में भिगोकर अच्छे से निचोड़ कर मां के चरण पोछें फिर उस वस्त्र को अपने घर अथवा दुकान की तिजोरी में रखें।
* धन का अभाव सदा के लिए समाप्त करने के लिए दस वर्ष से छोटी उम्र की कन्या को उसकी प्रिय वस्तु भेंट करें। फिर उसके हाथ से कुछ पैसे अथवा रूपए घर अथवा दुकान की तिजोरी में रखवाएं।
* मंदिर जाकर मां दुर्गा के चरणों में लगे सिंदूर का टीका करें, सुहागन महिलाएं अपनी मांग भी भरें। चुटकी भर सिंदूर घर लाकर रखें वैभव, सम्पन्नता और समृद्धि बनी रहती है।
* माना जाता है की नीलकंठ पक्षी का दर्शन दशहरे के दिन होने से पूरा साल खुशियां और तरक्की अंग-संग रहती हैं।
* रावण दाह के उपरांत जली हुई लकड़ी के टुकड़े को घर लाकर सहज कर रखें, इससे ऊपरी बाधाएं, चोरी की संभावना और नजर दोष से बचाव होता है।