Edited By ,Updated: 29 Sep, 2015 04:07 PM
सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के उपास्य देवताओं में भगवान श्री गणेश का असाधारण महत्व है। कोई भी धार्मिक या मांगलिक कार्य बिना उनकी पूजा के प्रारंभ नहीं होता।
सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के उपास्य देवताओं में भगवान श्री गणेश का असाधारण महत्व है। कोई भी धार्मिक या मांगलिक कार्य बिना उनकी पूजा के प्रारंभ नहीं होता। इतना ही नहीं किसी भी देवता के पूजन और उत्सव-महोत्सव का प्रारंभ करते ही महागणपति का स्मरण और उनका पूजन करना अनिवार्य है। इतना महत्व अन्य किसी देवता को नहीं प्राप्त होता।
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गणेश शब्द का अर्थ है- गणों का स्वामी। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और चार अंत:करण हैं, इनके पीछे जो शक्तियां हैं उन्हीं को चौदह देवता कहते हैं। इन देवताओं के मूल प्रेरक हैं भगवान श्रीगणेश। वस्तुत: भगवान गणपति शब्द ब्रह्म अर्थात ओंकार के प्रतीक हैं, इनकी महत्ता का यह मुख्य कारण है ।
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भगवान गणपति की पूजा जीवन में मंगलकारी एवं अत्यंत अनुकूल होती है जो व्यक्ति किसी अन्य देवी-देवता की पूजा नहीं कर सकता उसे गणेश पूजन अवश्य ही करना चाहिए। यदि हम नित्य प्रात: उठते समय गणपति का स्मरण कर लें तो सारा दिन प्रसन्नता से बीतता है और दिन में विशेष फलदायक समाचार मिलते हैं।
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बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
अर्थात भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं। आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं।
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