ज्योतिष ने जताई और आतंकी हमले की आशंका

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2015 04:28 PM

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सोमवार दिनांक 27.07.15 प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर भारत के पंजाब राज्य गुरदासपुर क्षेत्र के दीनानगर इलाके में दहशतगर्दों द्वारा बड़ी आतंकवादी घटना आंजाम दी गई। इस दुखद घटना को पंजाब केसरी के लेखक पंडित आचार्य कमल नंदलाल जी ज्योतिषीय दृष्टिकोण से दिखाने...

सोमवार दिनांक 27.07.15 प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर भारत के पंजाब राज्य गुरदासपुर क्षेत्र के दीनानगर इलाके में दहशतगर्दों द्वारा बड़ी आतंकवादी घटना आंजाम दी गई। इस दुखद घटना को पंजाब केसरी के लेखक पंडित आचार्य कमल नंदलाल जी ज्योतिषीय दृष्टिकोण से दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुसार इस वर्ष आने वाले दिनों में कई प्राकृतिक आपदाओं व हिंसक घटनाओं के होने का अंदेशा है।

दिनांक 27.07.15 प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर शनि व चंद्र के बीच बनने वाला विषयोग, चंद्र शनि व केतू के बीच बनने वाला पाप पाप कर्तरी योग, राहू की मंगल पर पड़ने वाली दृष्टि व बृहस्पति पर पड़ने वाली शनि की दसवीं दृष्टि इस दुखद दुर्घटना का मूल कारण है।

यह घटना प्रातः लगभग 05 बजकर 30 मिनट पर घटित हुई है। प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र में कर्क लग्न उदित था। जिसका स्वामी चंद्रमा है। दिनांक 27.07.15 प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर चंद्रमा अपनी नीच राशि वृश्चिक में तथा शनि के नक्षत्र अनुराधा में गोचर कर रहा था। इसी के साथ ही मंगल की राशि वृश्चिक में शनि और चंद्रमा के बीच अनुराधा नक्षत्र में ही युति हो रही है। वैदिक ज्योतिष अनुसार मंगल की राशि वृश्चिक में चंद्रमा नीच का फल देते हैं तथा शनि भी इस राशि में शत्रु का फल देते हैं। इसके साथ ही शनि और चंद्रमा के बीच विषयोग भी बन रहा है। 

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वैदिक ज्योतिष के कालपुरुष सिद्धांत अनुसार चंद्र मन का कारक है व व्यक्ति के भूमि भाव पर अपना आधिपत्य रखता है। चंद्र का एक नाम अमृत है और शनि का एक कारकत्व विष है। अतः चंद्र-शनि की युति अमृत-विष का योग बनाती है। चंद्रमा मन है और शनि विष अर्थात् अशुभ कर्ता। इन दोनों की युति का जीवन पर कैसा प्रभाव होगा, यह आकलन महत्वपूर्ण है। वैदिक ज्योतिष साहित्य में सभी प्रबुद्ध दैवज्ञों ने इस अमृत-विष युति के फल को अशुभ ही कहा है। शनि पापग्रह व अशुभ ग्रह है। चंद्र की शुभता-अशुभता उसके पूर्ण और क्षीण होने से मानी गई है। चंद्र मन है और शनि विष, तो इनकी युति को मन की विचित्रता को व्यक्त करता है। शास्त्र जातक भरणम् में इस योग को दुराचारी कहा गया है। 

शास्त्र जातक परजात में धन की हानी का कारक माना गया है। शास्त्र बृहद्जातक सौतेला संबंध तथा शास्त्र फलदीपिका में इसे अनिष्टकारी कहा गया है। इसके साथ ही दिनांक 27.07.15 प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर चंद्र केतू व शनि से दुष्ट होकर पाप कर्तरी योग बना रहा था। पाप कर्तरी योग का अर्थ है किस सौम्य ग्रह का क्रूर ग्रहों के मध्य विद्यमान होना। लग्नेश (चंद्रमा) जब पाप कर्तरी योग में हो तो शारीरिक कष्ट व मृत्यु फलित होती है। भारतीय ज्योतिष के संहिता खंड मेदिनी ज्योतिष अनुसार सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण का प्रकृतिक आपदा व आसमीक दुर्घटनाओं, विस्फोट आदि उत्पातों से संबंध बताया गया है। इस वर्ष 14.03.15 शनिवार के दिन शनिदेव अपने ही नक्षत्र अनुराधा में वक्रीय हो गए हैं व मंगलवार दिनांक 14.07.15 को देवगुरु बृहस्पति 12 साल बाद सिंघास्थ होकर सूर्य की राशि सिंह में प्रवेश कर गए हैं तथा केतू के नक्षत्र मघा में गोचर कर रहे हैं। 

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नवसंवत्सर शनिवार 21.03.15 की प्रातः 06 बजकर 26 मिनट की कुंडली के आधार पर सूर्य, चंद्र, मंगल, शुक्र व वृहस्पति राहु व केतु के मध्य में स्थित थे। शुक्रवार दिनांक 20.03.15 चैत्र मास की अमावस्या तिथि पर वर्ष 2015 का पहला संपूर्ण खगोलीय सूर्य ग्रहण लगा था। शनिवार दिनांक 04.04.15 चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 2015 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लग था। दोनों ग्रहण 16 दिन के अंतराल पर लगे थे। दोनों ग्रहण के समय शनिदेव व बृहस्पति अपनी वक्रीय स्थिति में थे। यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो कह सकते हैं कि यह वर्ष प्राकृतिक आपदाओं व अकसमत दुर्घटनाओं व हिंसक घटनाओं से भरा रहेगा।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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