सावन शिवरात्रि स्पैश्ल: भगवान शिव से पाएं छप्पड़फाड़ धन, राशिनुसार करें जलाभिषेक

Edited By ,Updated: 09 Aug, 2015 01:26 PM

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सावन माह की शिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। शिवरात्रि के दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और

सावन माह की शिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। शिवरात्रि के दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सारे संकट पल में दूर हो जाते हैं। श्रावण मास की शिवरात्रि भक्तों को विशेष फल देने वाली है। सावन माह की शिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक कर पाया जा सकता है छप्पड़फाड़ धन, कर्जों से मुक्ति, व्यापार में प्रगति और विद्या में उन्नति। सावन में चंद्र राशि वाले भगवान शिव को क्या करें अर्पण ताकि अधिकतम लाभ मिले

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मेष- जल में गुड़ डाल कर अभिषेक करें और मीठी रोटी का भोग लगाएं। लाल चंदन या कनेर या लाल पुष्प अर्पित करें।

वृष- दही अर्पित करें। सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत चढ़ाएं।

मिथुन- गन्ने का रस अभिषेक हेतु अत्यंत फलदायी है। दूर्वा या कुशा व हरी मूंग की दाल अर्पित करें।

कर्क- शुद्ध घी से अभिषेक तथा कच्चा दूध चढ़ाएं।

सिंह- गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करें। गेहूं चढ़ा सकते हैं। खीर का अर्पण भी मान्य है।

कन्या- गन्ने के रस से अभिषेक करें। दूर्वा, पान या भांग के पत्ते चढ़ा सकते हैं।

तुला- इत्र, सुगंधित जल या तेल, सेंन्ट आदि से अभिषेक करें और शहद, दही अर्पित करें ।

वृश्चिक- पंचामृत का अभिषेक कल्याणकारी कहा गया है। लाल पुष्प अर्पित करें । 

धनु- केसर या हल्दी युक्त दुग्ध से अभिषेक के बाद गेंदा या पीले फूल चढ़ाएं।

मकर- नारियल जल का अभिषेक श्रेष्ठ है। उड़द दाल से निर्मित मिष्ठान या काले उड़द भी चढ़ा सकते हैं। नील कमल अर्पित करें ।

कुंभ- तिल के तेल से शिवलिंग को स्नान करवाकर उड़द से निर्मित मीठी वस्तु का भोग लगाएं। शमी का फूल चढ़ाएं।

मीन- केसर युक्त दुग्ध से स्नान कराएं तथा पीली सरसों या नाग केसर अर्पित करें। गेंदे के फूल चढ़ा सकते हैं।

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विशेष : एक आधुनिक नवीनतम विचारधारा के अनुसार शिवलिंग पर दूध चढ़ा कर उसे नष्ट करने की बजाय जरुरत मंद लोगों के मध्य वितरित किया जाना चाहिए। 

कुछ धार्मिक संस्थानों व संस्थाओं ने इसका प्रावधान किया है ताकि अर्पित किया गया दूध एवं सामग्री प्रसाद के रुप में ही बांटी जाती है और उसका दुरुपयोग नहीं होता। चढ़ाया गया समस्त दूध एक स्थान पर एकत्रित हो जाता है और उसका वितरण सही ढंग से किया जाता है जिससे धार्मिक कृत्य भी संपन्न हो जाता है और दूध का सही उपयोग भी हो जाता है। 

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