कुपोषण एक गंभीर समस्या, खेती के माध्यम से हो दूरः संयुक्त राष्ट्र

Edited By ,Updated: 04 Apr, 2017 04:09 PM

malnutrition is a serious problem

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी की समस्या को खेती के..

नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी की समस्या को खेती के माध्यम से दूर करने के लिए एक प्रायोगिक योजना शुरू की है। देश के आदिवासियों के बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी की समस्या और जटिल है जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने इस योजना की शुरूआत ओडिशा से की है। इसका उद्देश्य आदिवासी समूहों के बीच भोजन में पौष्टिक तत्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा उसके अनुरूप खेती के तरीकों का प्रसार करना है।

कुपोषण एक गंभीर समस्या
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण को दूर करने के लिए देश में पौष्टिक भोजन कार्यक्रम पांच दशक से चलाया जा रहा है इसके बावजूद कुपोषण की गंभीर समस्या है और लोगों में विटामिन एवं खनिजों की कमी है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। देश में एक चौथाई से अधिक बच्चे किसी न किसी रूप में कुपोषण के शिकार हैं। गर्भवती समेत 50 प्रतिशत महिलाओं में रक्त की कमी है जबकि 60 प्रतिशत बच्चे इसके दायरे में हैं।

शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा
कुपोषण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास तो बाधित होता ही है, व्यक्तिगत आमदनी घटती है और सकल घरेलू उत्पाद पर भी चोट पहुंचती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पौष्टिक भोजन और खेती के बीच गहन संबंध है। व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर पोषणस्तर सुधारने में खेती का बड़ा योगदान हो सकता है। इस योजना के तहत आदिवासियों को पौष्टिक तत्वों की जानकारी, उनके उपयोग की विधियों और पौष्टिकता का स्तर सुधारने के लिए खेती की ऐसी विधियों की पहचान की जाएगी जो स्थानीय रूप से उपयुक्त, व्यावहारिक और पोषण की दृष्टि से प्रभावकारी हो।

लोगों को किया जाएगा जागरूक
इस अभियान के तहत स्थानीय, निजी, सरकारी और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर खेती के बेहतर तरीकों आजीविका, स्वस्थ्य और पोषण के बारे में जानकारी का प्रचार किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर वीडियो तैयार किए जाएंगे और लोगों के बीच बातचीत से संदेशों का प्रसारण किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए खाद्य उत्पादन सुधारना, अधिक पौष्टिक खाद्य सामग्री का उत्पादन, कटाई के बाद फसल के नुकसान में कमी लाना, पौष्टिक तत्वों को संरक्षित रखने के लिए बेहतर तकनीक से फूड वैल्यू श्रृंखलाओं को पुष्ट करना, पोषक तत्वों को नष्ट होने से रोकने के लिए कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा देना आदि शामिल है।

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