तमिलनाडु में एक और प्राचीन विरासती स्थल से मिली 30 लाख वर्ष पुरानी पत्थर की कुल्हाड़ी

Edited By ,Updated: 08 Jan, 2024 05:30 AM

3 million year old stone ax found in another ancient heritage site in tamil nadu

तेलंगाना के मुलुगु जिले में हाल ही में आई बाढ़ के परिणामस्वरूप  पुरापाषाण युग (पत्थर युग का पहला भाग) ‘क्वार्टजाइट’ (एक प्रकार के पत्थर से निर्मित) औजार या हाथ की कुल्हाडिय़ां बाढ़ के बाद एक सूखी जलधारा की रेत के नीचे से बरामद हुई हैं।

तेलंगाना के मुलुगु जिले में हाल ही में आई बाढ़ के परिणामस्वरूप  पुरापाषाण युग (पत्थर युग का पहला भाग) ‘क्वार्टजाइट’ (एक प्रकार के पत्थर से निर्मित) औजार या हाथ की कुल्हाडिय़ां बाढ़ के बाद एक सूखी जलधारा की रेत के नीचे से बरामद हुई हैं। इस अभियान को अंजाम देने वाले शौकिया इतिहासकारों की टीम के नेता श्रीरामोजू हरगोपाल के अनुसार यह नई खोज तेलंगाना और मध्य भारत में मानव बस्तियों के बारे में जानकारी में इजाफा करती है। 

जुलाई 2023 में तेलंगाना के उत्तर पूर्वी हिस्सों में मुलुगु, जयशंकर भूपालपल्ली जिलों के बड़े हिस्से में बाढ़ आने के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विनाश हुआ था। ‘कोठा तेलंगाना चरित्र ब्रुंडम’ के रहने वाले श्री हरगोपाल ने बताया कि इस बाढ़ का पानी उतरने पर मुलुगु जिले के गुर्रेवुला तथा भूपतिपुरम गांवों के बीच की सूखी जलधारा में 15.5 सैं.मी. लम्बाई,11 सैं.मी. चौड़ाई और 5.5. सैंमी. मोटाई वाली पत्थर की कुल्हाडिय़ां शोधकत्र्ता एलेश्वरम जनार्दनचारी को मिलीं। जीवाश्म विज्ञानी रवि कीरीसेट्टर के अनुसार यह पत्थर की कुल्हाड़ी पुरापाषाण काल (पत्थर युग का पहला भाग) लगभग 30 लाख वर्ष पुरानी है। पुरापाषाण युग लगभग 1 लाख वर्ष तक चला। हरगोपाल के अनुसार उन्होंने इन औजारों की चिपिंग शैली, सामग्री और उपकरणों के आकार के आधार पर इनकी शिनाख्त की है। 

श्री हरगोपाल का यह भी कहना है कि उस युग के शिकारी संग्रहकत्र्ता भारी ‘क्वार्टजाइट’ और बड़े औजारों का उपयोग करते थे। उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कुल्हाडिय़ों जैसी ही हाथ की कुल्हाडिय़ां दुनिया भर में बरामद हुई हैं। इनका उपयोग लकड़ी काटने और भोजन के लिए जानवरों को मारने के लिए किया जाता था। 

उल्लेखनीय है कि 1863 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के भूवैज्ञानिकों के  सर्वेक्षण दल को मद्रास  (चेन्नई) के निकट अत्तिरमपक्कम नामक स्थान पर पत्थर युग के पहले भाग के मनुष्यों द्वारा पत्थर से बनी दो मुंहों वाली लगभग 15 लाख वर्ष पुरानी हाथ कुल्हाडिय़ां मिली थीं। पुरापाषाण संस्कृति को मद्रास हस्त कुल्हाड़ी उद्योग या मद्रासियन संस्कृति का नाम दिया गया है। इससे पहले भी हमारी पुरातन सभ्यता के अनेक अवशेष विभिन्न स्थानों पर बरामद हुए हैं परंतु यह उनसे भी कहीं अधिक पुराने हैं। अब समस्या यह है कि देश में विभिन्न स्थानों पर खुदाई के दौरान बरामद होने वाले अवशेषों को सुरक्षित रखने या पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करने की हमारी कोई नीति नहीं है। यदि हम इन स्थलों को पाश्चात्य देशों की भांति संरक्षित और पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करें तो शायद हम पैरिस, लंदन और तुर्की से भी अधिक राजस्व कमा सकते हैं जो वे अपने विरासती स्थलों से कमा रहे हैं।

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