कश्मीर में नई सुबह का संकेत केंद्र सरकार और प्रदेश के नेताओं की बैठक सम्पन्न

Edited By ,Updated: 25 Jun, 2021 05:48 AM

a sign of a new dawn in kashmir central government and the state concluded

4-5 अगस्त, 2019 की मध्य रात्रि को जम्मू-कश्मीर के अनेक नेताओं की नजरबंदी के अगले दिन 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने ज मूृ-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद

4-5 अगस्त, 2019 की मध्य रात्रि को जम्मू-कश्मीर के अनेक नेताओं की नजरबंदी के अगले दिन 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने ज मूृ-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के विभाजन की ऐतिहासिक घोषणा की थी।

इसे रद्द करके प्रदेश की पहले वाली स्थिति बहाल करने की मांग पर बल देने के संकल्प के साथ प्रदेश में 15 अक्तूबर, 2020 को नैशनल कांफ्रैंस, पी.डी.पी., पीपुल्स कांफ्रैंस, पीपुल्स मूवमैंट आदि सहित 6 राजनीतिक दलों ने मिल कर ‘पीपुल्स अलायंस फार गुपकार डैक्लेरेशन’ (पी.ए.जी.डी.) नामक संगठन कायम किया, जिसे ‘गुपकार गठबंधन’ कहा जाता है। 5 अगस्त, 2019 के बाद 19 महीने की अवधि में राज्य में राजनीतिक गतिविधियों के नाम पर केवल दिस बर, 2020 में जिला विकास परिषद के चुनाव ही हुए जिनमें गुपकार गठबंधन को बड़ी जीत मिली थी। 

इस तरह के हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 24 जून को ज मू-कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें भाग लेने के लिए राज्य के सभी राजनीतिक दलों के 14 बड़े नेताओं को निमंत्रण भेजा गया था जिसमें भाग लेने पर गुपकार गठबंधन में शामिल सभी दलों तथा मु य धारा के क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने स िमलित होने पर सहमति व्यक्त की। 

नैकां सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम इस बैठक में बिना किसी एजैंडे के खुले दिल से शामिल होने के लिए जाएंगे, जबकि महबूबा मु ती ने एक बार फिर पाकिस्तान का राग अलापते हुए कहा कि, ‘‘हमें सरकार से बात करने में कोई दिक्कत नहीं है परंतु केंद्र सरकार को कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए पाकिस्तान सहित हर किसी से बात करनी चाहिए।’’ जहां तक इस बैठक के एजैंडे का प्रश्र है, इसे लेकर तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे थे जिनमें ज मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देना और परिसीमन प्रक्रिया पर सहमति बनाना आदि शामिल था ताकि विधानसभा चुनावों का रास्ता साफ हो सके। 

प्रधानमंत्री के आवास में हुई बैठक में 4 पूर्व मु यमंत्रियों डा. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला (नैकां), महबूबा मु ती (पी.डी.पी.), गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस) के अलावा  4 पूर्व उपमु यमंत्री कविंद्र गुप्ता (भाजपा),  निर्मल सिंह (भाजपा), तारा चंद (कांग्रेस) तथा मुज फर बेग (पी.डी.पी.) शामिल हुए। इनके अलावा सज्जाद लोन (ज मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रैंस), रविंद्र रैना (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष), भीम सिंह (पैंथर्स पार्टी), मोह मद युसूफ तारीगामी (माकपा), गुलाम अहमद मीर (कांग्रेस) आदि तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू -कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल आदि उपस्थित थे। 

धारा 370 रद्द किए जाने के बाद केंद्र सरकार और ज मू-कश्मीर के नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी। बैठक शुरू होने से पूर्व सभी नेताओं का प्रधानमंत्री के साथ औपचारिक फोटो सैशन हुआ और उसके बाद शुरू हुई बैठक लगभग साढ़े तीन घंटे चली। 

बैठक में जम्मू-कश्मीर से राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने और चुनाव करवाने का रोडमैप तैयार किया गया। इस बैठक से पहले चुनाव आयोग ने ज मू-कश्मीर के सभी 20 उपायुक्तों से विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और 7 नई सीटें बनाने पर भी विचार-विमर्श किया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 10 मिनट बोले। उन्होंने कहा कि, ‘‘हम दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी मिटाना चाहते हैं तथा मतभेद समाप्त करना चाहते हैं।’’ इसके साथ ही उन्होंने परिसीमन के बाद जल्द विधानसभा चुनाव करवाने और सही समय पर ज मू-कश्मीर को पुन: राज्य का दर्जा देने की बात भी कही और नेताओं से यह भी कहा कि वे इस प्रक्रिया में शामिल हों। 

बैठक के बाद ‘अपनी पार्टी’ के अल्ताफ बुखारी ने कहा कि समूची बातचीत बड़े अच्छे माहौल में हुई। प्रधानमंत्री ने सभी पक्षों की बात बड़े ध्यान से सुनी। बैठक में देश की सलामती और कश्मीर के विकास पर चर्चा हुई और इसमें नए कश्मीर का रोड मैप पेश किया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में कहा गया कि परिसीमन आयोग द्वारा मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन संबंधी कवायद पूरी हो जाने के बाद कश्मीर में चुनाव करवाए जाएंगे और क्षेत्रों के परिसीमन आयोग द्वारा इसके लिए प्रदेश के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी।

इसके अलावा लश्कर-ए-तोयबा जैसे आतंकवादी गिरोहों के विरुद्ध एक्शन प्लान तैयार करने का भी निर्णय लिया गया। वर्तमान संकेतों के अनुसार इस बैठक को सफल कहा जा सकता है, जो इस बात का संकेत है कि यदि प्रदेश के नेताओं का रवैया इसी प्रकार सकारात्मक रहा तो कश्मीर में नई सुबह जरूर आएगी।—विजय कुमार 

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