‘4 बच्चे पैदा करने’ संबंधी साक्षी महाराज का सुझाव ‘सिरे चढऩे वाला नहीं’

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2015 05:25 AM

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उन्नाव से भाजपा सांसद स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने देश में 100 से अधिक आध्यात्मिक तथा शिक्षा केंद्र स्थापित किए हैं परंतु उनके ऊपर अपने क्षेत्र के लिए आबंटित कोष के दुरुपयोग सहित कुछ गम्भीर आरोप भी हैं।

उन्नाव से भाजपा सांसद स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने देश में 100 से अधिक आध्यात्मिक तथा शिक्षा केंद्र स्थापित किए हैं परंतु उनके ऊपर अपने क्षेत्र के लिए आबंटित कोष के दुरुपयोग सहित कुछ गम्भीर आरोप भी हैं। 

आज जबकि देश भारी जनसंख्या विस्फोट से जूझ रहा है, कुछ दिन पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे को ‘राष्ट्रभक्त’ बताकर फजीहत झेल चुके साक्षी महाराज ने 6 जनवरी 2015 को मेरठ में कहा :
 
 ‘‘अच्छे दिन आ गए हैं, अब इस देश में 4 पत्नियां और 40 बच्चे नहीं चलेंगे। यदि देश को बचाना है तो हर हिन्दू कम से कम 4 बच्चे पैदा करे। हमने ‘हम दो हमारा एक’ का नारा स्वीकार किया तब भी उन्हें संतोष नहीं हुआ और उन्होंने नारा दे दिया कि ‘हम दो और हमारे....’ इसलिए मैं हिन्दू महिलाओं से आग्रह करना चाहता हूं कि वे कम से कम 4 बच्चों को जन्म दें।’’
 
साक्षी महाराज के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया चूंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारकों को आजीवन अविवाहित रहने की शपथ लेनी पड़ती है, अत: जद (यू) के नेता के.सी. त्यागी ने कटाक्ष किया, ‘‘संघ के सदस्य जो कुछ कहते और करते हैं उसमें कोई अंतर नहीं होना चाहिए और उनके लिए अनिवार्य होना चाहिए कि वे विवाह करें और 4 बच्चों को जन्म दें।’’  
 
फजीहत होती देख 7 जनवरी 2015 को साक्षी महाराज ने कानपुर में स्पष्टीकरण दिया कि उन्होंने यह बयान देश-हित में दिया था क्योंकि ‘‘यदि एक हिन्दू के 4 बच्चे होंगे तो एक देश की सेवा कर सकता है, एक सीमाओं की रक्षा कर सकता है, एक ‘संघ’ में शामिल हो सकता है और एक माता-पिता की सेवा कर सकता है।’’ 
 
उक्त बयान से भाजपा द्वारा स्वयं को अलग कर लेने के बाद 8 जनवरी को नई दिल्ली में साक्षी महाराज ने अपने कानपुर वाले बयान से भी पलटते हुए कहा :  
 
‘‘2 से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए और यदि मैंने कुछ गलत कहा है तो मैं फांसी पर चढऩे के लिए तैयार हूं। जो लोग इतना हल्ला कर रहे हैं या जिन्हें मेरे बयान से दुख पहुंचा है तो इस बारे कड़ा कानून बनना चाहिए और 2 या 3 से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को सजा होनी चाहिए।’’ 
 
हमने 7 जनवरी के संपादकीय ‘भारत में जनसंख्या विस्फोट और निष्क्रिय परिवार नियोजन कार्यक्रम’ में लिखा था कि ‘भारत दुनिया का पहला देश है जिसने 1950 में ही परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू कर दिए थे परंतु इसे सुचारू रूप से न चलाने के कारण लक्ष्य प्राप्त करने में यह असफल रहा।’’ इसी कारण स्वतंत्रता के लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंच सके जिन लोगों तक ये पहुंचने चाहिए थे जबकि वर्तमान परिदृश्य में चीन ‘एक संतान’ की नीति लागू करके किसी सीमा तक ये लाभ पात्रों तक पहुचाने में सफल रहा है।
 
आज जमाना बदल चुका है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म से संबंध क्यों न रखता हो, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा और अन्य जीवनोपयोगी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की इच्छा के चलते 2 से अधिक बच्चे नहीं चाहता ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर देश के श्रेष्ठ नागरिक बनें और सुखमय तथा सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें जो सिर्फ कम संतान होने पर ही संभव है।
 
इसी कारण आज पढ़ा-लिखा मुस्लिम समुदाय भी कम बच्चे पैदा कर रहा है जबकि देश के अनेक भागों में जहां शिक्षा का प्रसार कम और गरीबी अधिक है वहीं सभी धर्मों के लोग अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं ताकि वे बच्चे रोजी-रोटी कमाने में उनका सहारा बन सकें। 
 
यही नहीं, अब पढ़ी-लिखी महिलाएं भी 2 से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं क्योंकि अधिक बच्चे पैदा करने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अत: ऐसा सुझाव देने की बजाय यदि साक्षी महाराज उन समुदायों को उच्च शिक्षा देने की व्यवस्था करवाने पर जोर देते जिनकी जनसंख्या उनकी नजर में ज्यादा बढ़ रही है, तो अधिक अच्छा होता। 
 
साक्षी महाराज का उक्त बयान अव्यावहारिक है। आज समाज को इस तरह के बयानों की नहीं बल्कि लोगों में शिक्षा को बढ़ावा देने तथा परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने वाले प्रयासों की आवश्यकता है ताकि देश मेंं जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगा कर विकास के लाभ सब तक पहुचाए जा सकें। अत: वर्तमान हालात में लगता है कि साक्षी महाराज का यह सुझाव किसी भी वर्ग द्वारा स्वीकार किया जाने वाला नहीं।

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