शराब से ‘उजड़ रहे परिवार’ और ‘खोखली’ हो रही जवानियां

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2015 05:22 AM

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यह बात सभी जानते हैं कि शराब जहर है और इसके दुष्प्रभावों में लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, एनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, दिल की बीमारी आदि के अलावा ...

यह बात सभी जानते हैं कि शराब जहर है और इसके दुष्प्रभावों में लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, एनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, दिल की बीमारी आदि के अलावा महिलाओं में गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव और विभिन्न विकारों से पीड़ित शिशुओं का जन्म जैसी समस्याओं का होना आम बात है।

इसके अलावा शराब के चलते अपराधों में भी भारी वृद्धि हो रही है। होशो-हवास में होने पर व्यक्ति जो अपराध करने से पहले दस बार सोचता है, नशे में वही अपराध बिना सोचे-विचारे पलक झपकते ही कर डालता है। 
 
इसके बावजूद देश में शराब का बोलबाला है। विशेषकर युवा खतरनाक हद तक नशों के शिकार होकर अपना जीवन और यौवन नष्ट कर रहे हैं। एक बार जब लत लग जाती है तो फिर उससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है और फिर वे पैसे न होने पर सस्ती तथा मिलावटी शराब पीने से भी संकोच नहीं करते जो उनकी मौत का कारण भी बन जाती है। 
 
12 जनवरी को ही उत्तर प्रदेश में लगभग आधा दर्जन गांवों में नकली शराब पीने से 50 लोगों की मृत्यु हो गई और 100 के लगभग लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने गैर-कानूनी शराब का धंधा चलाने वाले ‘जुगनू’ के विरुद्ध कई बार अधिकारियों से शिकायत की लेकिन अधिकारियों की मुट्ठी गर्म करने के कारण उसके विरुद्ध कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई। 
 
अब शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए कुछ राज्यों की पंचायतें और स्वयंसेवी संस्थाएं शराब के ठेके बंद करवाने के पक्ष में आवाज बुलंद करने लगी हैं। इसी शृंखला में बिहार के पटना जिले में क्रुद्ध महिलाओं ने अपने गांव में अवैध शराब की भठ्यिां चलाने वाले गिरोह के विरुद्ध कार्रवाई पर बल देने के लिए एक पुलिस थाना घेर कर प्रदर्शन किया।
 
महिलाओं के आगे झुकते हुए थाना प्रभारी को संंबंधित लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करने के लिए विवश होना पड़ा। सैंकड़ों प्रदर्शनकारी महिलाओं और बच्चों का कहना था कि शराब की सरेआम बिक्री से उनके परिवारों के पुरुष सदस्य नाकारा होकर रह गए हैं तथा शराब की तलब पूरी करने के लिए उन्होंने घर के बर्तन तक बेचने शुरू कर दिए हैं। शराब ने परिवारों की शांति छीन ली है और नित्यप्रति आपसी लड़ाई-झगड़े भी होने लगे हैं। 
 
प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि ‘‘अपने पतियों की शराबखोरी की लत के कारण कुछ महिलाएं तो उन्हें छोड़ कर चली भी गई हैं।’’नशे के हाथों गुलामी का एक उदाहरण 15 जनवरी को बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले में तब सामने आया जब प्रभु महतो नामक व्यक्ति  ने शराब के लिए अपना 8 वर्षीय बेटा बेचने की कोशिश की। 
 
इन दिनों जबकि पंजाब में नशों की समस्या को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में बहस छिड़ी हुई है, यह तथ्य उजागर हुआ है कि जो पंजाब सेना में भर्ती के मामले में देश में सिरमौर था, पिछले 14 वर्षों में युवाओं द्वारा नशों की बहुतायत के कारण इसमें काफी पिछड़ गया है।
 
इस अवधि में पंजाब का योगदान 17 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.75 प्रतिशत ही रह गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि नशों ने पंजाब के युवाओं को भारतीय सेना में चयन की कसौटी पर खरे उतरने के योग्य ही नहीं छोड़ा। देश की खड्ग भुजा पंजाब के लिए यह अत्यंत चिंता का विषय है। 
 
शराब एवं अन्य नशों के सेवन से होने वाली भारी हानियों के बावजूद हमारी राज्य सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे नेता तो शराब को नशा ही नहीं मानते और हमारी सरकारें इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना नहीं चाहतीं और इसी कारण इसके उत्पादन में कमी की बजाय हर वर्ष इसमें वृद्धि को लगातार बढ़ावा दे रही हैं। 
 
दिखावे के लिए नेतागण नशों पर रोक लगाने की बातें तो करते रहेंगे परन्तु क्रियात्मक रूप से इसे समाप्त करने के लिए कुछ भी नहीं करेंगे और जब तक शराब तथा अन्य नशों पर रोक नहीं लगाई जाएगी तब तक परिवारों की तबाही और युवाओं की सेहत की बर्बादी का यह भयावह सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा।   

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