कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के विरुद्ध भाजपा में बढ़ रहा असंतोष

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2020 01:44 AM

bjp growing discontent against karnataka chief minister yeddyurappa

महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के साथ सत्ता के बंटवारे पर बात न बनने के परिणामस्वरूप जहां भाजपा को एक सहयोगी खोना पड़ा वहीं भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता से भी वंचित हो गई। अब जबकि महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी भाजपा सत्ता से वंचित हो चुकी है...

महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के साथ सत्ता के बंटवारे पर बात न बनने के परिणामस्वरूप जहां भाजपा को एक सहयोगी खोना पड़ा वहीं भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता से भी वंचित हो गई। अब जबकि महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी भाजपा सत्ता से वंचित हो चुकी है और दिल्ली में भी सत्ता में वापसी का उसका सपना साकार नहीं हो पाया तो विभिन्न कारणों से पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर तेज हो रहे हैं। 

जहां भाजपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार की उठा-पटक के आरोपों में घिरी हुई है वहीं महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक सुधीर मुगंतिवार ने 12 मार्च को एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि ‘‘हमारी पार्टी ने एक समय की अपनी सहयोगी पार्टी रही शिवसेना को धोखा दिया है जो भूल थी।’’ जहां मुगंतिवार के उक्त बयान से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के विरुद्ध प्रादेशिक नेतृत्व में कुलबुला रहे असंतोष का संकेत मिलता है वहीं कर्नाटक भाजपा में भी सब ठीक नहीं चल रहा। राज्य में जद (स) और कांग्रेस की सरकार के गिरने का कारण बनने वाले 11 में से 10 दल-बदलुओं को, जो भाजपा से जा मिले थे, येद्दियुरप्पा ने गत 6 फरवरी को कर्नाटक मंत्रिमंडल के विस्तार के अवसर पर मंत्रिमंडल में शामिल करके पुरस्कृत किया था जिसके परिणामस्वरूप पुराने नेताओं को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिल सकी जिससे उनमें असंतोष भड़क उठा है। 

इसी सिलसिले में पिछले ही महीने 2 भाजपा विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री और जे.डी.एस. नेता एच.डी. कुमारस्वामी से मुलाकात भी की थी और अब 12 मार्च को हुई भाजपा के विधायकों की बैठक में 16 भाजपा विधायकों ने खुले तौर पर मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुरप्पा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनके कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन विधायकों ने प्रशासन के कामकाज में येद्दियुरप्पा के परिवार के हस्तक्षेप को लेकर भी येद्दियुरप्पा पर निशाना साधा। बैठक में इस कदर गर्मागर्मी का मौहाल बना कि येद्दियुरप्पा कुछ बोल ही नहीं पाए और जल्दी ही बैठक को समाप्त कर दिया गया। 

हालांकि इन विधायकों ने कहा है कि वे खुले मंच पर येद्दियुरप्पा के विरुद्ध नहीं बोलेंगे परंतु इस घटनाक्रम से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि पार्टी में सब ठीक नहीं है और यदि उच्च भाजपा नेतृत्व ने पार्टी में कुलबुला रहे इस असंतोष को नियंत्रित करने की दिशा में प्रभावी पग न उठाए तो निश्चय ही उसे इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा।—विजय कुमार 

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