आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई बारे फारूक अब्दुल्ला का सही बयान

Edited By ,Updated: 15 Oct, 2021 03:26 AM

correct statement of farooq abdullah about action against terrorists

जम्मू-कश्मीर पर सर्वाधिक समय तक अब्दुल्ला परिवार और उनकी पार्टी ‘नैशनल कांफ्रैंस’ का ही शासन रहा है। अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढिय़ों के सदस्य, स्वयं शेख अब्दुल्ला, उनके पुत्र फारूक अब्दुल्ला और पोते उमर अब्दुल्ला प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके

जम्मू-कश्मीर पर सर्वाधिक समय तक अब्दुल्ला परिवार और उनकी पार्टी ‘नैशनल कांफ्रैंस’ का ही शासन रहा है। अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढिय़ों के सदस्य, स्वयं शेख अब्दुल्ला, उनके पुत्र फारूक अब्दुल्ला और पोते उमर अब्दुल्ला प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला दोनों के ही भाजपा तथा कांग्रेस से संबंध रहे हैं।

जहां वाजपेयी सरकार में उमर अब्दुल्ला विदेश राज्यमंत्री रह चुके हैं वहीं स. मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार में फारूक अब्दुल्ला ऊर्जा मंत्री रहे।  डा. फारूक अब्दुल्ला अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में कुछ समय अलगाववादी संगठन जे.के.एल.एफ. से जुड़े रहे तथा तीन विभिन्न अवसरों पर राज्य के मुख्यमंत्री बने। उन पर दोहरे व्यक्तित्व वाला राजनीतिज्ञ होने के आरोप भी लगते रहे हैं, जो कभी पूर्णत: राष्ट्रवादी दिखाई देते हैं तो कभी अपने विवादास्पद बयानों से उससे भिन्न नजर आते हैं। 

अब्दुल्ला परिवार के बारे में कहा जाता है कि जब ये सत्ता में होते हैं तो सरकार के पक्ष में और सत्ता से बाहर होने पर कुछ और भाषा बोलने लगते हैं। अर्थात ये कश्मीर में कुछ बोलते हैं, जम्मू में कुछ तथा दिल्ली में कुछ और।  डा. फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चिनार’ में स्वीकार किया है कि कश्मीरी मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे और उनके परदादा का नाम बालमुकुंद कौल था। डा. फारूक अब्दुल्ला की पत्नी ‘मौली’ ईसाई हैं। उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला ने एक हिन्दू युवती से विवाह किया था जिनसे 2011 में इनका तलाक हो गया, वहीं इनकी बेटी ‘सारा’ ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट से विवाह किया है और इनके दूसरे दामाद ईसाई हैं। 

स्वयं डा. फारूक अब्दुल्ला कश्मीर के बाहर दिए गए साक्षात्कार और भाषणों में अपने पूर्वजों के हिन्दू होने का उल्लेख कर चुके हैं और उन्हें कई बार भगवान राम की पूजा करते हुए भी देखा गया है। कुछ वर्ष पूर्व पी.ओ.के. को पाकिस्तान का हिस्सा बता चुके डा. फारूक अब्दुल्ला ने 25 नवम्बर, 2017 को दोहराया था कि ‘‘पाक अधिकृत कश्मीर भारत की बपौती नहीं है।’’ परंतु अब जबकि कश्मीर घाटी में गैर मुस्लिमों की हत्याओं को लेकर मचे कोहराम के बीच आतंकवादियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों की कार्रवाई की आलोचना करते हुए पी.डी.पी. सुप्रीमो और गुपकार गठबंधन की सदस्या महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षा बलों की आलोचना करते हुए आतंकी हिंसा को सही ठहराया है, फारूक अब्दुल्ला ने इसके विपरीत स्टैंड लिया है। 

गुपकार गठबंधन के ही वरिष्ठ सदस्य डा. फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर स्थित स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंद्र कौर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक गुरुद्वारे में आयोजित शोक सभा में कहा :
‘‘कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा क्योंकि हम भारत का हिस्सा हैं और रहेंगे। कश्मीर के लोगों को साहसी बनना पड़ेगा और मिलकर हत्यारों से लडऩा होगा।’’ ‘‘हमें इन जानवरों से लडऩा होगा। यह (कश्मीर) कभी पाकिस्तान नहीं बनेगा, याद रखना। हम भारत का हिस्सा हैं और हम भारत का हिस्सा रहेंगे, चाहे जो हो। वे मुझे गोली भी मार दें तो भी इसे नहीं बदल सकते।’’ उन्होंने सिखों से यहां से पलायन न करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘1990 के दशक में जब कई लोग डर की वजह से घाटी छोड़कर चले गए थे तब भी सिख समुदाय ने कश्मीर को नहीं छोड़ा। हमें अपना मनोबल ऊंचा रखना होगा और मिलकर साहस के साथ लडऩा होगा। मुझे गर्व है कि सबके यहां से चले जाने के बाद भी केवल आपका (सिख) समुदाय ही यहां रहा।’’ 

‘‘वे (आतंकी) सोचते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाने वाली एक अध्यापिका को मार कर वे इस्लाम की सेवा कर रहे हैं। नहीं, वे इस्लाम की नहीं, यकीनन ‘शैतान’ की सेवा कर रहे हैं। ‘शैतान’ जहन्नुम में जाएगा और ये (आतंकवादी) भी।’’बाद में गुरुद्वारे के बाहर एकत्रित संवाददाताओं से बातचीत करते हुए फारूक अब्दुल्ला बोले, ‘‘वे (आतंकवादी) कभी सफल नहीं होंगे और उनकी साजिश नाकाम हो जाएगी लेकिन हम सभी को-मुस्लिमों, सिखों, हिन्दुओं और ईसाइयों को उनके विरुद्ध मिल कर लडऩा होगा।’’ ‘‘भारत में ‘नफरत का तूफान’ चल रहा है और मुस्लिम, हिन्दू तथा सिख समुदायों को बांटा जा रहा है। बांटने की इस राजनीति को रोकना होगा, अन्यथा भारत नहीं बचेगा। अगर हमें भारत को बचाना है तो हम सभी को मिल कर रहना होगा तभी हम आगे बढ़ सकेंगे।’’

डाक्टर फारूक अब्दुल्ला का यह बयान अत्यंत सामयिक, राष्ट्रवाद की भावना एवं सच्चाई से ओत-प्रोत है। निश्चय ही कोई भारत से कश्मीर को नहीं छीन सकता और ऐसा करने का हर प्रयास विफल होगा। अत: भारत में रह कर पाकिस्तान का गुणगान करने वालों को डाक्टर फारूक अब्दुल्ला की भांति इस सच्चाई को स्वीकार करके भारत के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन करना चाहिए।—विजय कुमार 

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