देश में फैल रहा नकली कैंसर की दवाइयों के धंधेबाजों का खतरनाक जाल

Edited By ,Updated: 18 Mar, 2024 05:20 AM

dangerous network of traders of fake cancer medicines spreading in the country

आजकल देश में कैंसर तथा अन्य रोगों की जांच के लिए भारत में ही  ‘जीनोम सैंसिंग’ की नई तकनीक विकसित हुई है जिसमें एक ब्लड टैस्ट से ही किसी व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना का कैंसर की शुरुआती स्टेज से भी पहले ही पता चल जाता है।

आजकल देश में कैंसर तथा अन्य रोगों की जांच के लिए भारत में ही  ‘जीनोम सैंसिंग’ की नई तकनीक विकसित हुई है जिसमें एक ब्लड टैस्ट से ही किसी व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना का कैंसर की शुरुआती स्टेज से भी पहले ही पता चल जाता है। एक ओर तो विज्ञान लोगों को रोगों से बचाने की दिशा में काम कर रहा है तो दूसरी ओर समाज विरोधी तत्वों द्वारा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की बेहद महंगी नकली दवाएं बेच कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जारी है। 

हाल ही में राजधानी दिल्ली में कैंसर के इलाज के दौरान होने वाली कीमोथैरेपी की नकली दवा बनाने और बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करके अपराध शाखा ने इनसे नकली दवाइयां बरामद करके कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें गिरोह के सरगना नीरज चौहान के अलावा इंडियन इंस्टीच्यूट आफ टैक्नोलॉजी (बनारस हिंदू यूनिवॢसटी) के पूर्व छात्र आदित्य कृष्णा तथा अन्य आरोपी शामिल हैं जो दिल्ली और गुडग़ांव स्थित उन अस्पतालों, जहां वे काम करते थे, से कीमोथैरेपी की दवाएं चुराकर एक निश्चित कमीशन के बदले में नीरज चौहान को बेचते थे। 

यह गिरोह असली दवाओं में नकली दवाएं मिलाकर अपने ग्राहकों को बेचा करता था। बताया जाता है कि इस गिरोह ने मात्र पिछले 2 वर्षों के दौरान ही 25 करोड़ रुपए मूल्य की नकली कीमोथैरेपी की दवाएं बेची हैं। इस केस के संबंध में पुलिस ने आरोपियों के 92.81 लाख रुपए के बैंक खाते सील कर दिए हैं। इनके कब्जे से 19000 डालर के अलावा नोट गिनने की मशीन भी बरामद की गई है।  गिरफ्तार आरोपियों में से एक रोहित सिंह को द्वारका से गिरफ्तार किया गया जो 65000 से 35000 के बीच कीमोथैरेपी की दवाएं ‘केत्रुदा’ तथा ‘ओपडीता’  नीरज चौहान को बेचा करता था। 

गुडग़ांव के साऊथ सिटी स्थित एक फ्लैट से नीरज चौहान के कब्जे से बड़ी संख्या में 7 प्रसिद्ध विदेशी कम्पनियों की कैंसर की दवाओं के नकली इंजैक्शन और वाइल्स मिले। एक अस्पताल में ओंकोलाजी विभाग के मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट में काम करने वाले जितेंद्र्र को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया जब वह कीमोथैरेपी की 3 दवाएं नीरज चौहान को सप्लाई करने गया था। गुरुग्राम के एक अस्पताल में कीमोथैरेपी के ‘डे केयर यूनिट’ में काम करने वाले माजिद खान को  अपने कार्यस्थल से चुराई जाने वाली इंजैक्शन की प्रत्येक खाली शीशी के बदले में 4000 से 5000 रुपए दिए जाते थे। चौथा आरोपी साजिद गुरुग्राम के एक अस्पताल के ओंकोलॉजी विभाग में काम करता था। उसे माजिद को दवाएं सप्लाई करते हुए पकड़ा गया। बताया जाता है कि ये लोग प्रसिद्ध दवा निर्माता कम्पनियों की दवाई की शीशी में 100 रुपए की एंटीफंगल दवा ‘फ्लूकानजोल’  भर कर इसे 1 से 3 लाख रुपए में बेच देते थे। 

इन आरोपियों ने बाकायदा एक सप्लाई चेन बना रखी थी तथा 16 राज्यों में 754 लोगों से 200 करोड़ रुपए की ठगी कर चुके थे। गुडग़ांव व दिल्ली के प्रसिद्ध अस्पतालों में काम कर चुका गिरोह का एक सदस्य लोगों को कम कीमत में दवा दिलाने की गारंटी देता और अपने साथी के जरिए बताए हुए ग्राहकों को बेचता था। असल में कैंसर की नकली दवाएं बेचने वाले ये आरोपी समाज का ऐसा नासूर हैं जो राजधानी में लोगों से धोखा करके कैंसर के सस्ते इलाज और दवाओं के नाम पर उन्हें मौत बेच रहे थे। जहां प्राणरक्षक दवाओं की गुणवत्ता के मामले में सरकार की सजगता में कमी उजागर हो रही है वहीं महंगी दवा खरीदने के दौरान भारी डिस्काऊंट जैसे आकर्षक आफरों की तलाश भी लोगों को नकली दवा विक्रेताओं के जाल में फंसा रही है। 

एक तो इस तरह का आचरण देश तथा आम जनता के लिए बुरा है, जैसे कि भारत में निर्मित घटिया कफ सिरप को लेकर शुरू विवाद अभी तक समाप्त नहीं हुआ है और लोगों के लिए हानिकारक है। अब कैंसर की नकली दवाओं का स्कैंडल सामने आ गया। अत: इस संबंध में जहां प्रशासन को जागरूक होने की आवश्यकता है वहीं कैंसर पीड़ितों तथा उनके परिजनों को महंगी दवा खरीदते समय पूरी सावधानी बरतने और प्रामाणिक औषधि विके्रताओं से दवा खरीदने की जरूरत है। 

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