Edited By ,Updated: 02 Jun, 2019 01:16 AM
30 मई को शपथ ग्रहण करने के साथ ही केंद्र की नमो-2 सरकार को 2 परेशान करने वाली खबरों का सामना करना पड़ेगा। इनमें से एक खबर विकास दर में गिरावट और दूसरी बढ़ती बेरोजगारी से संबंधित है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ये दोनों ही खबरें चुनावों के कारण केंद्र...
30 मई को शपथ ग्रहण करने के साथ ही केंद्र की नमो-2 सरकार को 2 परेशान करने वाली खबरों का सामना करना पड़ेगा। इनमें से एक खबर विकास दर में गिरावट और दूसरी बढ़ती बेरोजगारी से संबंधित है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ये दोनों ही खबरें चुनावों के कारण केंद्र सरकार ने रोकी हुई थीं जिन्हें 31 मई को जारी किया गया।
आर्थिक मोर्चे पर परेशान करने वाली पहली खबर के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आॢथक विकास दर घट कर 6 प्रतिशत से भी नीचे चली गई और भारत से सर्वाधिक तीव्र गति से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था का ‘खिताब’ भी छिन गया। इस बारे जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च तिमाही में देश का ‘ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्शन’ (जी.डी.पी.) मात्र 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है जो पांच वर्ष का न्यूनतम स्तर, पिछली 17 तिमाहियों में सबसे कम तथा गत 2 वर्षों में पहली बार चीन की विकास दर से भी नीचे है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जी.डी.पी. ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत था।
चौथी तिमाही में विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और विकास को धक्का लगने की आशंका पहले ही जताई जा रही थी परंतु इसके इतना नीचे चले जाने की आशंका नहीं थी तथा देश के विभिन्न बैंकों ने विकास दर 6 से 6.3 प्रतिशत तक रहने की आशा व्यक्त की थी। कोटक मङ्क्षहद्रा बैंक ने सबसे कम 6 प्रतिशत रहने की आशा व्यक्त की थी।
इसी प्रकार देश में रोजगार की स्थिति संबंधी जारी आंकड़ों के अनुसार अंतत: सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि 2017-18 में देश में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत रही जो 45 वर्षों में सर्वाधिक है। कुल मिलाकर जहां इस समय एक ओर देश में विकास दर में भारी गिरावट और दूसरी ओर बेरोजगारी की रिपोर्ट ने सरकार को सचेत कर दिया है कि आने वाला समय उसके लिए चुनौतियों भरा होगा।—विजय कुमार