‘आवारा कुत्तों का कहर’ सहमा हर गांव और हर शहर

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2019 03:32 AM

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देश में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ रही संख्या पर नियंत्रण पाने की कोई ठोस नीति न होने के कारण इनकी संख्या बढऩे के साथ-साथ उसी अनुपात में इनका कहर और लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त...

देश में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ रही संख्या पर नियंत्रण पाने की कोई ठोस नीति न होने के कारण इनकी संख्या बढऩे के साथ-साथ उसी अनुपात में इनका कहर और लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए 25 फरवरी को सुप्रीमकोर्ट ने इनके आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने को कहा और केंद्र सरकार से पूछा है कि आवारा कुत्तों के आतंक की समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

अन्य स्थानों के अलावा हड्डारोडिय़ों, होटलों और मांस विक्रेताओं की दुकानों के सामने समूहों में बैठे आवारा कुत्ते वहां से गुजरने वाले पैदल लोगों, साइकिल एवं मोटरसाइकिल सवारों पर टूट पड़ते हैं और दुधारू जानवर भी इनका शिकार बन रहे हैं। गांवों और शहरों में घूमने वाले खूंखार आवारा कुत्तों के कारण बच्चों और राहगीरों का चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। लोग अपने बच्चों को घरों से बाहर भेजने से भी डरने लगे हैं। अनेक स्थानों पर तो मांसखोर हो गए आवारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि वहां कोरियर वालों एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करने वालों ने जाना बंद कर दिया है।

03 फरवरी को फगवाड़ा के निकट जंडियाला मंजकी में हड्डारोड़ी के लगभग एक दर्जन कुत्तों ने घर के बाहर खड़ी कीरत कौर नामक 4 वर्षीय बच्ची को हाथ, टांगों और पीठ पर काट कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। 04 फरवरी को आगरा में आवारा कुत्ते ने एक विदेशी पर्यटक को काटा। 05 फरवरी को दसूहा के गांव गंगिया में कुत्तों ने 2 वर्षीय बच्चे मनप्रीत के पेट का निचला हिस्सा पूरी तरह नोच डाला जिससे उसकी मृत्यु हो गई। 06 फरवरी को संगरूर के लहरागागा शहर में आवारा कुत्तों ने एक 4 महीने की बछड़ी को नोच डाला।

07 फरवरी को जमशेदपुर में एक कुत्ते ने आधा दर्जन से अधिक लोगों को काटने के अलावा कुछ कुत्तों को भी काट कर घायल कर दिया। 08 फरवरी को लखनऊ के शिवढरा गांव में हलकाए कुत्ते के काटने के 8 दिन बाद पीड़ित महिला की मृत्यु हो गई। 09 फरवरी को निहालसिंहवाला के गांव धूड़कोट रणसींह में हरमन सिंह नामक 7 वर्षीय बच्चे को आवारा कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला। 12 फरवरी को मुम्बई के वडाला में एक स्कूल के गेट के सामने आवारा कुत्ते ने 2 बच्चों को काट खाया।

15 फरवरी को फिरोजपुर में निजामुद्दीन में 7 वर्ष के बालक को हड्डïारोड़ी के कुत्तों ने नोच-नोच कर घायल कर दिया। 21 फरवरी को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद शहर में एक पागल कुत्ते ने 2 दिनों में 9 लोगों को काटा। 23 फरवरी को रामबन जिले के ‘कोबाग’ इलाके में आवारा कुत्ते ने एक जर्मन पर्यटक सहित 10 यात्रियों को काट कर घायल कर दिया। 25 फरवरी को भागलपुर के 2 गांवों में पागल कुत्ते ने 7 लोगों को काटा। 28 फरवरी को जालंधर के अमन नगर में आवारा कुत्तों ने घेर कर एक 10 वर्ष के बच्चे को काट कर लहूलुहान कर दिया। ये तो वे घटनाएं हैं जो प्रकाश में आई हैं इनके अलावा भी न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं।

ज्यादातर मामलों में सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए इंजैक्शन भी उपलब्ध नहीं होते जिस कारण या तो पीड़ित इलाज से वंचित रह जाता है और या फिर उसे प्राइवेट दुकानों से बहुत महंगे दामों पर ये इंजैक्शन खरीदने पड़ते हैं। कई बार तो इंजैक्शन न खरीद पाने या इंजैक्शन मिलने में देरी से समय पर चिकित्सा न होने के कारण पीड़ित की अकाल मृत्यु भी हो जाती है। इस दिशा में प्रयास तेज करने की आवश्यकता है। जब तक केंद्र और राज्य सरकारें कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके काटने से होने वाली अकाल मौतों पर रोक लगाने और इलाज के लिए जरूरी दवाएं सुगमतापूर्वक उपलब्ध करवाने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं करेंगी तब तक इस समस्या से मुक्ति मिल पाना मुश्किल है और इस स्थिति में आवारा कुत्तों के काटने से होने वाली मौतें लगातार बढ़ती ही जाएंगी।—विजय कुमार  

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