‘मैंने कोई ऐसा नेता नहीं देखा जो दुखी न हो’ : नितिन गडकरी

Edited By Updated: 15 Sep, 2021 05:12 AM

i have not seen any leader who is not sad  nitin gadkari

अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी अपने काम और बेबाक बयानों को लेकर सदा चर्चा में रहते हैं, जिसकी तारीफ उनके साथी ही नहीं विरोधी दलों के नेता भी करते

अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी अपने काम और बेबाक बयानों को लेकर सदा चर्चा में रहते हैं, जिसकी तारीफ उनके साथी ही नहीं विरोधी दलों के नेता भी करते हैं। उन्होंने 13 सितंबर को राजस्थान विधानसभा में ‘संसदीय लोकतंत्र और जन अपेक्षाएं’ विषय पर अपने भाषण में सभी राजनीतिक नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा : 

‘‘समस्या सबके साथ है। हर कोई दुखी है। विधायक इसलिए दुखी हैं कि वे मंत्री नहीं बने। जो मंत्री बन गए तो वे इसलिए दुखी हैं कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला और जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया, वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे।’’

उन्होंने जाने-माने व्यंग्यकार शरद जोशी के एक व्यंग्य के हवाले से कहा,‘‘जो दिल्ली में काम के न थे, उन्हें गवर्नर बना दिया और जो वहां भी काम के नहीं थे उन्हें एमबैसेडर बना दिया। भाजपा अध्यक्ष रहते मुझे ऐसा कोई नहीं मिला जो दुखी न हो।’’ 

‘‘मुझसे एक पत्रकार ने पूछा कि आप मजे में कैसे रह लेते हैं? मैंने कहा कि मैं भविष्य की ङ्क्षचता नहीं करता, जो भविष्य की चिंता नहीं करता वह खुश रहता है। वन-डे क्रिकेट की तरह खेलते रहो। मैंने सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर से छक्के-चौके लगाने का राज पूछा तो बोले कि यह स्किल है। इसी तरह राजनीति भी एक स्किल है।’’ ‘‘हमें तो जीवन में लडऩा है। कभी हम सत्ता में होते हैं, कभी विपक्ष में। यह चलता रहता है। उतार-चढ़ाव चलते रहते हैं, लेकिन आपको विचारधारा के प्रति वफादार रहना चाहिए।’’ 

श्री नितिन गडकरी के उक्त बयान को कदापि गलत नहीं कहा जा सकता जिसमें उन्होंने मंत्री और मुख्यमंत्री के दुखी होने का उदाहरण देकर नाम लिए बिना अपनी पार्टी पर भी कटाक्ष किया है। भाजपा ने 12 सितंबर को ही गुजरात में मुख्यमंत्री को बदला और वहां विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया। केंद्र में भी कई दावेदार मंत्री नहीं बन पाए। कई राज्यों में भी यही हाल है। 

अपनी पार्टी के अलावा उन्होंने राजनीतिज्ञों को ऊंची-ऊंची महत्वाकांक्षाएं पालने तथा अपने पद और रुतबे से असंतुष्टï होने की बजाय, अपने काम के प्रति निष्ठावान होने की सलाह दी है जो जनसेवा के माध्यम से सफलता की अचूक सीढ़ी है। अपने काम के प्रति निष्ठावान होना ही एक अच्छे राजनीतिज्ञ का सबसे बड़ा गुण है।—विजय कुमार  

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