इस्लाम को बदनामी से बचाने के लिए जामा मस्जिद के इमाम द्वारा पाक को आतंकवाद का रास्ता छोडऩे की सलाह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Mar, 2018 01:18 AM

imam of jama masjid advised to leave pakistan on the path of terrorism

आतंकवाद की शरणस्थली के रूप में पाकिस्तान अपनी पहचान बना चुका है जिसके लिए इसकी विश्वव्यापी आलोचना हो रही है तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसे ''स्नेक कंट्री'' कहना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी शासकों ने आतंकवाद को बढ़ावा देेने के लिए लश्कर-ए-तोयबा,...

आतंकवाद की शरणस्थली के रूप में पाकिस्तान अपनी पहचान बना चुका है जिसके लिए इसकी विश्वव्यापी आलोचना हो रही है तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसे 'स्नेक कंट्री' कहना शुरू कर दिया है। 

पाकिस्तानी शासकों ने आतंकवाद को बढ़ावा देेने के लिए लश्कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन (एच.एम.), हरकत उल मुजाहिदीन (एच.यू.एम.), सिपह-ए-साहब पाकिस्तान (एस.एस.पी.), अहले-सुन्नत-वल-जमात (ए.एस.डब्ल्यू.जे.), लश्कर-ए-झांगवी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टी.टी.पी.) जैसे आतंकी संगठन खड़े किए जो उनकी शह पर लगातार जगह-जगह हिंसा करवा रहे हैं। पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति के कारण ही 'फ्रेजाइल स्टेट्स इंडैक्स-2017' की रिपोर्ट में इसे 20 असफल देशों की सूची में रखा गया है तथा इसके शासकों को कड़ी नसीहतें दी गई हैं कि वे पड़ोसी देशों में आतंकवादी भेज कर वहां अस्थिरता फैलाने की बजाय अपनी सुरक्षा की चिंता करें और स्वयं को बर्बादी से बचाने पर ध्यान दें। 

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, ''पाकिस्तानी शासकों को भारत और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के विरुद्ध छद्म युद्ध छेडऩे या आतंकवाद फैलाने के स्थान पर अपने यहां विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लागू करने का प्रयास करना चाहिए" परंतु उन पर कोई असर होता दिखाई नहीं देता। अब दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी इस बारे पाकिस्तान के शासकों को अच्छे सुझाव दिए हैं। गत वर्ष जुलाई में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कश्मीर में शांति का माहौल बनाने के लिए हुर्रियत नेताओं से बात करके उन्हें समझाने की सलाह दी थी। उनका कहना है कि ''धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की पहचान कभी खुशहाल जीवन वाली जगह के रूप में थी लेकिन आज यह आंसुओं की घाटी बन गई है तथा हजारों लोग ए.के.-47 के साए में जी रहे हैं।" 

उन्होंने आतंकवादियों से भी हथियार छोडऩे की अपील करते हुए कहा था कि ''मैं हथियार उठाने वालों से अपील करता हूं कि वे हथियार छोड़ कर बातचीत का माहौल पैदा करें। हिंसा और खूनखराबा कोई हल नहीं है।" और अब 26 मार्च को उन्होंने फिर कहा कि ''पाकिस्तान के रवैये से इस्लाम बदनाम हो रहा है और उसे इस्लाम एवं मुसलमानों की भलाई के लिए आतंकवाद पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।" शाही इमाम ने कहा कि ''युद्ध किसी भी मुद्दे का हल नहीं है। इतिहास गवाह है कि बातचीत से ही मुश्किल से मुश्किल मसले हल हुए हैं और कश्मीर समस्या का हल भी बातचीत से ही हो सकता है।" ''पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत में आतंकवाद फैलाते हैं और बदनाम इस्लाम होता है। भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को भी बदनामी झेलनी पड़ती है...कश्मीर में जनता शांति चाहती है।" ''वह पत्थरबाजों एवं गोली से परेशान हो चुकी है। अलगाववादियों के रवैये को कोई भी देश एवं सरकार पसंद नहीं करेगी।" 

आतंकवाद को बढ़ावा देकर इस्लाम को बदनाम करने के लिए शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी द्वारा पाकिस्तान की आलोचना करना सही है। इमाम का यह कहना भी सही है कि ''कश्मीर में जनता शांति चाहती है। वह पत्थरबाजों एवं गोली से परेशान हो चुकी है तथा अलगाववादियों के रवैये को कोई भी देश एवं सरकार पसंद नहीं करेगी।" पाकिस्तान की बदनामी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले सप्ताह जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी निजी दौरे पर अमरीका गए तो जॉन एफ. कैनेडी हवाई अड्डïे पर कपड़े उतरवा कर उनकी चेकिंग की गई और उन्हें अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ा। शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी मुस्लिम समुदाय में एक विशेष स्थान रखते हैं अत: हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तानी शासकों और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों तक उनकी आवाज पहुंचेगी और वे इस पर अवश्य विचार करेंगे।—विजय कुमार  

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