बेहतर रोजगार के झांसे में आकर रूस में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे भारतीय

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2024 04:55 AM

indians are hanging between death in russia due to lure of better employment

रूसी सेना में हैल्पर का काम करने वाले सूरत और हैदराबाद के रहने वाले 2 युवकों के मारे जाने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की सेना के लिए लडऩे के लिए रूस भेजने वाले मानव तस्करी रैकेट का ‘सी.बी.आई.’ ने पर्दाफाश किया...

रूसी सेना में हैल्पर का काम करने वाले सूरत और हैदराबाद के रहने वाले 2 युवकों के मारे जाने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की सेना के लिए लडऩे के लिए रूस भेजने वाले मानव तस्करी रैकेट का ‘सी.बी.आई.’ ने पर्दाफाश किया है। ये उन दो दर्जन भारतीयों में शामिल थे जो अच्छे वेतन वाली नौकरी के लालच में रूसी सेना की ओर से युद्ध में लडऩे के लिए रूस भेजे गए। ‘ए.आई.एम.आई.एम.’ के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विदेश मंत्री एस. जय शंकर को पत्र लिख कर बताया था कि तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक और यू.पी. जैसे राज्यों के लोगों को जबरन रूस में लडऩे के लिए भेजा गया है। 

इस सम्बन्ध में सी.बी.आई. ने एफ.आई.आर. दर्ज करने के बाद 7 मार्च को दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, मुम्बई, अम्बाला, चंडीगढ़, मदुरै और चेन्नई सहित 13 स्थानों पर तलाशी के दौरान 50 लाख से अधिक नकदी, आपत्तिजनक दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल, डैस्कटॉप और सी.सी.टी.वी. फुटेज जब्त किए हैं। अधिकारियों के अनुसार संगठित ढंग से काम करने वाले एजैंटों का नैटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है और कई आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है जिनके अनेक वीजा और कंसल्टैंसी फर्मों के साथ संबंध थे। सी.बी.आई. द्वारा दर्ज की गई एफ.आई.आर. में फर्मों और इनके निदेशकों के अलावा एजैंटों सहित 19 संदिग्धों की सूची है। सी.बी.आई. ने दिल्ली स्थित एक वीजा कंसल्टैंसी फर्म के विरुद्ध भी मामला दर्ज किया है जिस पर पिछले कुछ महीनों में लगभग 180 युवाओं को रूस भेजने का आरोप है। 

सी.बी.आई. कम से कम 2 ऐसे एजैंटों की भूमिका की भी जांच कर रही है जिन्होंने रूस पहुंचने वाले भारतीयों के पासपोर्ट जब्त कर लिए और उन्हें युद्ध के प्रशिक्षण के बाद सशस्त्र बलों के साथ लडऩे के लिए भेज दिया। पंजाब के होशियारपुर तथा गुरदासपुर से घूमने गए युवक भी इनमें शामिल हैं। बेलारूस में एक युवक को 10 वर्ष की सजा या सेना में शामिल होने का आप्शन दिया गया। कुछ दिन पहले ऐसे चंद युवाओं द्वारा एक वीडियो सोशल मीडिया में डालकर अपनी आपबीती बताने और सहायता की गुहार लगाने के बाद विदेश मंत्रालय हरकत में आया है। सी.बी.आई. की जांच में दुबई में रह कर यूट्यूब चैनल चलाने वाले वाले एक व्यक्ति की संलिप्तता का भी पता चला है। अब सी.बी.आई. इन युवाओं में से प्रत्येक का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनमें से कितनों को युद्ध क्षेत्र में भेजा गया था। अधिकारियों के अनुसार एजैंटों का यह नैटवर्क भारत और रूस दोनों जगह से संचालित होता है। 

सी.बी.आई. ने आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्ति अपने एजैंटों के माध्यम से रूसी सेना, सुरक्षा गार्डों, सहायकों, बेहतर जीवन और शिक्षा से संबंधित नौकरी पाने के बहाने भारतीय नागरिकों की रूस में तस्करी करते थे और इन लोगों से अवैध रूप से भारी राशि भी वसूल करते थे। इन एजैंटों ने छात्रों को भी रूस के निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलवाने के बहाने धोखा देकर रूस भेजने के बाद वहां के एजैंटों के सहारे छोड़ दिया। एक बार जब ये लोग रूस पहुंच गए तो उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। इन्हें लड़ाकू भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और रूसी सेना की वर्दी तथा बैच दिए गए। 

पहले तेलंगाना से 2-3 लोगों और फिर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के बाद अब  दिल्ली से रूस में फंसे हुए भारतीयों के बारे में सूचना मिल रही है। हालांकि इस वर्ष जनवरी के बाद से देश में बेरोजगारी की दर में 1.9 प्रतिशत की कमी आकर यह 6.8 प्रतिशत हो गई है जो गत वर्ष दिसम्बर में 8.7 प्रतिशत थी। नौकरी के झांसे में आकर भारत से युवाओं के विदेश भागने का एक कारण बेरोजगारी भी है। ऐसे में प्रश्र उत्पन्न होता है कि समूचा भारत, चाहे वह दक्षिण हो जहां साक्षरता दर अधिक है या उत्तर में, जहां यह कम है, विदेशों में नौकरियों के लिए हमारे युवा एक ही तरह की प्रतिक्रिया क्यों दे रहे हैं? 

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि केवल शिक्षा से ही बेरोजगारी में कमी नहीं लाई जा सकती, कौशल का होना भी जरूरी है। भारत में युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर बेरोजगारी की दर कम करने का भी समय नहीं आ गया है? चूंकि लम्बे समय से भारत के रूस के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध चले आ रहे हैं, जिसका भारत ने यूक्रेन संकट में समर्थन भी किया था, ऐसे में क्या यह समय की मांग नहीं है कि रूस के साथ यह मुद्दा पूरी गंभीरता के साथ उठा कर इसका जल्द से जल्द समाधान तलाश किया जाए?

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