Edited By ,Updated: 31 Aug, 2023 05:24 AM
रक्षाबंधन पर जहां हर बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांध कर उसकी अच्छी सेहत और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है, वहीं भाई अपनी बहन की हर संकट से रक्षा करने का वचन देता है।
रक्षाबंधन पर जहां हर बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांध कर उसकी अच्छी सेहत और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है, वहीं भाई अपनी बहन की हर संकट से रक्षा करने का वचन देता है। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त को दोनों दिन मनाया जा रहा है। हम अपने पाठकों को चंद ऐसे प्रेरक प्रसंगों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें बहनों ने अपने भाइयों के प्राण बचाने के लिए अपने लिवर और किडनी आदि देकर इस पर्व को वास्तविक रूप दे दिया।
- गंभीर किडनी रोग से पीड़ित विदेश में रहने वाला एक व्यक्ति (40) रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए जयपुर आया था। जांच के बाद डाक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए किडनी बदलना जरूरी बताया तो उसकी तीन बहनों में से एक की किडनी लगाकर डाक्टरों ने उसकी जान बचा ली। यह आप्रेशन 29 अगस्त को जयपुर के एक अस्पताल में किया गया। बूंदी का यह किसान परिवार अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहता इसलिए उसके बारे में सारा विवरण गुप्त रखा गया है, परंतु इस रोगी का इलाज करने वाले डाक्टरों ने कहा कि अपने भाई से बेहद प्यार करने के कारण तीनों विवाहित बहनों में उसके प्राण बचाने के लिए किडनी देने की होड़ सी लगी हुई थी।
- नई दिल्ली के रहने वाले हरेंद्र (45) किडनी फेल होने के कारण दिसम्बर, 2022 से लगातार डायलिसिस पर थे और उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी। डाक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए किडनी बदलना ही एकमात्र उपाय बताया। कोई किडनी डोनर न मिलने पर हरेंद्र की छोटी बहन प्रियंका (23) ने अपनी एक किडनी देकर भाई के प्राण बचा लिए जिसके बाद हरेंद्र की तबीयत में काफी सुधार आया है।
- इसी प्रकार मुम्बई में ‘आटो इम्यून लिवर सिरोसिस’ की गंभीर बीमारी से जूझ रहे राहुल को लिवर ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी और ऐसा न होने पर उसके प्राण भी जा सकते थे। ऐसे में उसकी बहन नंदिनी (21) ने लिवर का एक हिस्सा देकर रक्षाबंधन से पहले भाई को जीवन का उपहार दिया। नवी मुम्बई स्थित एक अस्पताल में डाक्टरों की टीम ने राहुल के शरीर में उसकी बहन का लिवर प्रत्यारोपित किया। ट्रांसप्लांट के बाद नंदिनी ने कहा, ‘‘मेरा भाई मेरे लिए मायने रखता है। मुझे खुशी है कि इस रक्षाबंधन पर्व पर मैंने भाई को जीवन रूपी उपहार दिया।’’
- हरियाणा में नूंह की शरणजीत कौर ने अंतिम स्टेज के लिवर सिरोसिस के अलावा पीलिया, पेट में पानी, किडनी से जुड़ी समस्याओं, लो ब्लड प्रैशर और पेशाब न आने जैसी तकलीफों से गंभीर रूप से ग्रस्त अपने छोटे भाई बूटा सिंह (40) की जान बचाने के लिए अपना लिवर दिया। हाल ही में फरीदाबाद के एक अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट के बाद नया जीवन पाने वाले बूटा सिंह ने इसके लिए अपनी बहन का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ऐसी बहन पाकर मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानता हूं। उसने मुझे जीने का दूसरा मौका दिया है।’’
- बांसवाड़ा (राजस्थान) के निमेष (40) का लिवर धीरे-धीरे खराब होता जा रहा था। दवाओं का कोई असर न होने पर डाक्टरों ने कहा कि अब लिवर ट्रांसप्लांट से ही उसके प्राण बचाए जा सकते हैं।
पूरे परिवार की जांच के बाद निमेष की बहन प्रवीण (49) को लिवर देने के उपयुक्त पाया गया परन्तु उसका वजन बहुत अधिक होने के कारण डाक्टरों ने कहा कि यदि प्रवीण डेढ़ महीने में अपना वजन 15 किलो घटा ले तो लिवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। बहन प्रवीण ने संकल्प करके अपना 15 किलो वजन घटाया और लिवर देकर भाई के प्राण बचा लिए। भाई-बहन के प्यार और स्नेह की ये सच्ची कहानियां सिद्ध करती हैं कि आज जहां बहनों की हर विपदा में रक्षा करने वाले भाई मौजूद हैं, तो ऐसी बहनों की भी कमी नहीं, जो मौत के मुंह में फंसे अपने भाइयों को छुड़ा कर उन्हें नया जीवन दे सकती हैं। -विजय कुमार