अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार करने जा रही स्कूली पाठ्यक्रमों में बदलाव

Edited By ,Updated: 19 Jun, 2023 03:50 AM

now the congress govt of karnataka is going to change school curriculum

भारत में हम गुप्त काल को देश का स्वर्णिम युग मानते हैं जिसमें सर्वाधिक आदर से चंद्रगुप्त द्वितीय जिन्हें कि इतिहास में विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है, के शासनकाल को देखा जाता है। चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में अनेक विद्वान मौजूद थे जिनमें...

भारत में हम गुप्त काल को देश का स्वर्णिम युग मानते हैं जिसमें सर्वाधिक आदर से चंद्रगुप्त द्वितीय जिन्हें कि इतिहास में विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है, के शासनकाल को देखा जाता है। चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में अनेक विद्वान मौजूद थे जिनमें एक महाकवि कालीदास के बारे में आज भी पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाया जाता है। परंतु हम यह नहीं जानते कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का एक बड़ा भाई रामगुप्त भी था, जिसकी हत्या करवाने के बाद चंद्रगुप्त द्वितीय ने राजगद्दी संभाली थी व राम गुप्त सम्बन्धी सब विवरण नष्ट कर दिए गए थे। रामगुप्त बारे प्राप्त विवरणों में केवल एक नाटक ‘देवी चंद्रगुप्त’ ही मौजूद है और उसमें से भी आधा गुम हो गया है। 

पुरातन काल से ही यह चला आ रहा है कि इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा जाता है। जो जीतता है इतिहास उसका होता है परंतु आज के आधुनिक युग में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना मुश्किल और अनिवार्य है क्योंकि ऑनलाइन पर सब उपलब्ध है। कर्नाटक में पिछली भाजपा सरकारों ने स्कूली पाठ्यक्रमों में अपनी पसंद के अनेक विषय डलवाए थे जिन्हें हाल ही में सत्तारूढ़ हुई कांग्रेस सरकार एक-एक करके बदलती जा रही है और इसने कुल मिलाकर विभिन्न कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में 45 बदलाव करने की घोषणा कर दी है। इसमें से आर.एस.एस. के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार सहित अनेक पाठ्यक्रमों को हटाकर सावित्री बाई फुले, डा. भीमराव अम्बेडकर और नेहरू से जुड़े अध्यायों को दोबारा शामिल किया जा रहा है जिन्हें पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में पाठ्यक्रम से हटा दिया गया था। 

न भाजपा सरकार का कदम सही था और न ही कर्नाटक की वर्तमान कांग्रेस सरकार पाठ्यक्रमों में बदलाव करके सही काम कर रही है। यदि राजनीतिक दल पाठ्य पुस्तकों में अपने अनुकूल पाठ्यक्रम लाने के लिए लड़ते रहेंगे तो नुक्सान राजनीतिक दलों का नहीं बल्कि बच्चों का होगा जो विश्वास ही नहीं कर पाएंगे कि जो कुछ उन्हें पढ़ाया जा रहा है वह सही भी है या नहीं। 

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 जून से शुरू होने जा रही अमरीका यात्रा से पहले सोशल मीडिया पर अनेक वीडियो सामने आ रहे हैं जिनमें दिखाया गया है कि किस प्रकार आई.आई.टी., आई.आई.एम. या मैडीकल कालेजों से उच्च शिक्षा के बूते पर अमरीका सहित विश्व के 80 देशों में बसे हुए 40 मिलियन प्रवासी भारतीय जोकि दुनिया भर में फैले किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे अधिक संख्या है, सभी देशों में बड़ी अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं। इन हालात में हमारे देश के लिए यह सर्वाधिक आवश्यक है कि विज्ञान, गणित, इतिहास आदि किसी भी विषय के साथ छेड़छाड़ न की जाए और बच्चों को पढऩे और स्वयं किसी निष्कर्ष पर पहुंचने दिया जाए।

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