कांग्रेस और भाजपा द्वारा मुख्यमंत्रियों और मंत्रिमंडलों में फेरबदल जारी

Edited By ,Updated: 28 Sep, 2021 03:37 AM

reshuffle in chief ministers and cabinets by congress and bjp continues

इन दिनों देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अगले वर्ष के शुरू मेें पांच राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर तथा वर्ष के अंत में गुजरात और हिमाचल चुनावों को लेकर अपनी रणनीति के अंतर्गत अनेक प्रयोग कर रही...

इन दिनों देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अगले वर्ष के शुरू मेें पांच राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर तथा वर्ष के अंत में गुजरात और हिमाचल चुनावों को लेकर अपनी रणनीति के अंतर्गत अनेक प्रयोग कर रही हैं। इसी शृंखला में भाजपा ने पश्चिम बंगाल चुनावों में जीतने के लिए इस वर्ष के शुरू में बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस से दल-बदलुओं को पार्टी में शामिल करके 13 विधायकों को टिकट दिया परन्तु उनमें से केवल 4 ही सफलता प्राप्त कर पाए। बहरहाल अपने प्रयोग जारी रखते हुए भाजपा ने पिछले 6 महीनों में अपने शासन वाले 3 राज्यों में 4 मुख्यमंत्री बदल डाले। उत्तराखंड में 2, कर्नाटक में 1 तथा गुजरात में 1 मुख्यमंत्री को बदला गया। 

सबसे बड़ा बदलाव गुजरात में किया गया जहां सत्ता विरोधी लहर की काट व पाटीदार समुदाय की नाराजगी दूर करने के लिए केन्द्रीय भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और उनके 22 मंत्रियों की पूरी टीम से त्यागपत्र दिलवा कर पहली बार विधायक बने भूपेन्द्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बना कर सभी 24 नए मंत्री नियुक्त कर दिए जिनमें मुख्यमंत्री सहित 7 मंत्री पटेल समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं। भाजपा जैसा ही प्रयोग कांग्रेस हाई कमान ने पंजाब में करते हुए मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच 2 वर्ष से जारी अनबन समाप्त करने के लिए 18 सितम्बर को अमरेन्द्र सिंह से त्यागपत्र दिलवा कर 19 सितम्बर को चरणजीत सिंह चन्नी को पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित होने के कारण मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी। 

चन्नी ने 20 सितम्बर को अपने 2 उपमुख्यमंत्रियों के साथ शपथ लेने के बाद नई दिल्ली में राहुल और प्रियंका गांधी से कई दौर की बैठकें करने के पश्चात 26 सितम्बर को अपने नए मंत्रिमंडल को राजभवन में शपथ दिलवाई, जिसमें 7 नए और 8 पुराने मंत्री शामिल किए गए। इनमें से 6 विधायकों को पहली बार मंत्री बनाया गया है। 

चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार में ‘नए 7’ मंत्री हैं राजकुमार वेरका (वाल्मीकि), संगत सिंह गिलजियां (अन्य पिछड़ी जातियां), परगट सिंह, रणदीप सिंह नाभा, अमरेन्द्र सिंह राजा वङ्क्षडग़, गुरकीरत सिंह कोटली और राणा गुरजीत सिंह। इस शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी काडर में नाराजगी साफ दिखी जहां हटाए गए मंत्री अपना दोष पूछते दिखाई दिए तो पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होकर अपनी नाराजगी जताई। और अब 26 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट में क्षेत्र और जाति के समीकरण साधते हुए 7 नए मंत्रियों को शामिल कर लिया। इनमें कांग्रेस छोड़ भाजपा मेंं आए पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद (ब्राह्मण) के अलावा संगीता बलवंत बिंद, धर्मवीर प्रजापति, पलटू राम, छत्रपाल गंगवार, दिनेश खटीक व एस.के. गौड़ विभिन्न पिछड़े वर्गों से हैं। छत्रपाल गंगवार का बरेली और आसपास के जिलों में खुर्मी समुदाय पर काफी प्रभाव है, जबकि पलटू राम जाटव समाज से सम्बन्ध रखते हैं जिन्हें आम तौर पर बसपा का मतदाता माना जाता है। 

ध्यान रहे कि जिस प्रकार भाजपा ने गुजरात में पाटीदार समुदाय को तथा उत्तर प्रदेश में ब्राह्मïणों तथा पिछड़ों को लुभाने के लिए अपनी सरकारों में इन वर्गों से सम्बन्धित मंत्री लिए हैं, उसी तरह पंजाब में कांग्रेस ने भी कुछ ऐसा ही प्रयोग किया है। पहले जब चुनाव होते थे तो चुनावी वर्ष में सत्ताधारी दल अपनी उपलब्धियों के दम पर जनता के बीच जाते थे और लोगों को अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर संतुष्ट करके वोट मांगते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

चूंकि सरकारें जनता की उम्मीद के अनुसार काम नहीं कर रहीं, इसलिए सत्ताधारी पार्टियां अपने मंत्रियों के प्रति जनता के गुस्से को देखते हुए उन्हें बदल रही हैं या चुनावी रणनीति के तहत जातीय समीकरण बनाने के लिए आखिरी मौके पर फेरबदल करने लगी हैं। कुल मिलाकर इस समय देश की दोनों बड़ी पाॢटयों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चिन्तन और मनन का दौर जोरों पर है और दोनों ही पाॢटयां सत्ता पर कब्जा बनाए रखने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन प्रयोगों का इन दोनों पाॢटयों को कितना लाभ पहुंचता है और लोगों को कितनी राहत मिलती है।-विजय कुमार 

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